पेट्रोल पंपों में पेट्रोल-डीजल खत्म होने से प्रदेश में थमे ट्रकों व छोटे वाहनों के पहिये

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केंद्र सरकार द्वारा ट्रैफिक नियमों में कुछ बदलाव कर दिए गए हैं, जिससे हिट एंड रन के मामले में अब 10 साल की सजा व जुर्माने का प्रविधान को लेकर ट्रक चालक हड़ताल पर चले गए हैं। इसका प्रभाव प्रदेश में भी देखने को मिला। प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों और सीमेंट उद्योगाें में सीमेंट ढुलाई में लगे ट्रकों ने ट्रक खड़े कर दिए हैं और मांग की जा रही है कि सजा की एक दशक की अवधि को वापस लिया जाए। परिणाम स्वरूप प्रदेश के 3500 पेट्रोल पंपों में तेल खत्म हो गया है।

प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ में सबसे बड़ी ट्रक यूनियन में दस हजार से अधिक ट्रक है। इसके अलावा ऊना, कांगड़ा, हमीरपुर, बिलासपुर चार अन्य जिले भी प्रभावित हुए हैं। प्रदेश के 80 फीसदी से ज्यादा पेट्रोल पंपों में पेट्रोल व डीजल खत्म हो चुका है।

हालत ये देखने में आई कि जो पर्यटक नव वर्ष मनाने के लिए शिमला सहित प्रदेश की अन्य सैरगाहों पर आए थे, जब लौटने के लिए वाहन लेकर पेट्रोल पंपों पर पहुंचे तो उनके होश उड़ गए। क्योंकि अधिकांश पेट्रोल पंपों पर तेल उपलब्ध नहीं था। इसी तरह की स्थिति ट्रक आपरेटरों के सामने पेश आई।

ट्रक चलाने के लिए पर्याप्त तेल न होने के कारण प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में माल से लदे ट्रक खड़े कर दिए गए हैं। सोमवार को साल के पहले ही दिन ने प्रदेश के लोगों को चौंकाकर रख दिया और सड़कों पर चल रहे वाहनों में अचानक पेट्रोल व डीजल को लेकर होड़ मच गई।

लोगों को जैसे जैसे इस बात का पता चला तो उनमें गाड़ियों की टंकियां फुल करवाने की होड़ मच गई और जिससे देखते ही देखते प्रदेश के कई जिलों में पेट्रोल की उपलब्धता लगभग जीरो पर आ पहुंची है। शिमला शहर के पेट्रोल पंपों पर सुबह दस बजे ही पेट्रोल खत्म हाे गया था। यदि ट्रक आपरेटरों की मांग नहीं मानी गई तो प्रदेश में राज्य पथ परिवहन निगम की अधिकांश बसें खड़ी करने की नौबत आ जाएगी।

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