मानसून सत्र से पहले डीए व एरियर के भुगतान प्रयास मुख्यमंत्री ने शुरू किए

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आर्थिक तंगी के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार कर्मचारी संगठनों को साधने की जुगत में है। विधान सभा के मानसून सत्र से पहले डीए व एरियर के भुगतान को लेकर सचिवालय कर्मचारी महासंघ के तेवर तथा उसे मिल रहे कर्मचारी संगठनों के समर्थन के बाद सरकार ने कार्मिक संगठनों को साधने के प्रयास शुरू किए हैं। सरकार की तरफ से प्रयास भी स्वयं मुख्यमंत्री ने शुरू किए। इसका अंदाजा मुख्यमंत्री से मुलाकात करने वाले एनजीओ फेडरेशन के नेताओं के बयानों से लगाया जा सकता है। मगर फेडरेशन के नेताओं के सरकारी विभागों की संख्या व इसमें कर्मचारियों की संख्या से उनके ज्ञान का भी पता चल रहा है।

हिमाचल सरकार कर्मचारियों को केंद्र की तर्ज पर डीए देती है। साथ ही वेतन मान संशोधित होने के बाद इसका एरियर भी कर्मचारियों को नहीं मिला है। डीए भी 12 फीसद देय है। डीए के भुगतान के लिए ही सरकार को करीब 1200 करोड़ चाहिए। एरियर के लिए सरकार स्वयं 10 हजार करोड़ की दरकार की बात मान रही है। मगर राज्य की वित्तीय स्थिति को देखते हुए भारी भरकम राशि का भुगतान करने में सरकार के हाथ पांव फूल रहे हैं। मगर कर्मचारियों के सब्र का बांध भी टूट रहा है। लिहाजा सचिवालय सेवाएं कर्मचारी संगठन ने आम सभा कर सरकार से मांगों को मानने का आग्रह किया। दो दिनों तक सचिवालय परांगण में आम सभा में कर्मचारी नेताओं ने जम कर भाषण बाजी की। सचिवालय के कर्मचारियों को दूसरे इदारों का भी समर्थन मिला। माहौल को संभालने के मकसद से सरकार ने मोर्चा संभाला। सामानांतर एनजीओ फेडरेशन के धड़ों के नेताओं के साथ एक ही बैठक हुई। बैठक में मुख्यमंत्री ने एक माह में राज्य की वित्तीय स्थिति की समीक्षा के बाद वित्तीय लाभों को लेकर फैसला लेने का ऐलान किया।

प्रदेश विधान सभा का मानसून सत्र मंगलवार से शुरू हो रहा है। मानसून सत्र से पहले कर्मचारियों के धरने प्रदर्शन को भाजपा बड़ा मुद्दा बना सकती है। खासतौर पर उस वक्त जब कर्मचारियों की देनदारियों को सरकार मुद्दा बना रही हो, भाजपा सरकार से पूछ सकती है कि एरियर व डीए का भुगतान कब होगा। लिहाजा कर्मचारियों को साधने की जुगत के पीछे यह एक अहम वजह है।

एनजीओ फेडरेशन के एक धड़े के नेता ने बयान जारी कर बैठक को मिनी जेसीसी करार दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में दो लाख 50 हजार कर्मचारी उनके संगठन से जुड़े हैं। यही नहीं बयान में सरकारी विभागों की संख्या भी 135 बताई गई है। अगर इतने कर्मचारी एक ही धड़े के साथ हैं तो फिर दो अन्य त्रिलोक ठाकुर व विनोद कुमार के नेतृत्व वाले धड़ों के साथ भी कुछ कर्मचारी होंगे। लिहाजा इन बयानों से लगता है कि प्रदेश सरकार के वित्त विभाग के दस्तावेजों में बताई गईसंख्या से अधिक कर्मचारी तीनों फेडरेशन के सदस्य हैं।

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