भाजपा ने कहा- हिमाचल में संवैधानिक व्यवस्था तार-तार, नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा चीफ इंजीनियर विमल नेगी मौत मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के फैसले के बाद राज्य की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार की मुश्किलें बढ़ गई है। विपक्षी दल भाजपा इस मुद्दे पर सरकार पर हमलावर है और प्रदेश सरकार के अधिकारियों खासकर एसपी शिमला द्वारा अपने ही विभाग के डीजीपी और प्रदेश सरकार में अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह तथा पूर्व डीजीपी के खिलाफ मोर्चा खोलने के बाद भाजपा ने प्रदेश में संवैधानिक संकट पैदा हो जाने का दावा किया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता व नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने रविवार को शिमला में एक पत्रकार वार्ता में कहा कि ऐसी परिस्थितियों में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं रह गया है और वह तत्काल नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दें।
उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विमल नेगी मौत मामले में विधानसभा में सरेआम झूठ बोला है और न केवल मृतक चीफ इंजीनियर विमल नेगी के परिवार बल्कि पूरे प्रदेश को इस मामले में गुमराह किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर व्यवस्था का पतन हो गया है क्योंकि आज प्रदेश में मुख्यमंत्री की बात न तो उनका एसपी मानता है न ही डीजीपी और न ही मुख्यमंत्री के सहयोगी उनकी बात मानते हैं।
जयराम ठाकुर ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए दावा किया कि प्रदेश सरकार विमल नेगी मौत मामले की जांच हाई कोर्ट के आदेशों के बावजूद सीबीआई को सपने में जानबूझकर देर कर रही है ताकि वह इस मामले में और सबूत नष्ट कर सके। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश पावर कारपोरेशन में बहुत बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार चल रहा है। इस भ्रष्टाचार की पोल न खुल जाए, इसलिए प्रदेश सरकार पहले दिन से ही विमल नेगी मौत मामले की जांच सीबीआई को सौंपने से इनकार कर रही थी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दो बार विधानसभा में खड़े होकर झूठ बोला कि विमल लगी के परिजन इस मामले की सीबीआई से जांच नहीं चाहते और वे प्रदेश सरकार की जांच से ही संतुष्ट हैं।