राज्य के अधिकांश हिस्सों में लू चलने की स्थिति बनी हुई है और ऐसे में प्रदेश की 1797 पेयजल स्त्रोतों व छोटी परियोजनाओं में जल स्तर गिरा है। शिमला व सोलन जिलों की 167 पेयजल योजनाओं में 70 फीसदी तक पानी में गिरावट आई है और लोगों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। हालत ये है कि ऐसे क्षेत्रों में जल शक्ति विभाग की ओर से पेयजल की किल्लत को रोकने के लिए अन्य पेयजल योजनाओं को प्रभावित योजनाओं के साथ जोड़ा गया है ताकि प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को वैकल्पिक दिनों में पेयजल उपलब्ध करवाया जा सके। अभी तक प्रदेश में कहीं पर भी नियमित तौर पर टैंकरों से पेयजल आपूर्ति नहीं की जा रही है। कुछ स्थानों पर अस्थायी तौर पर टैंकरों से पानी की आपूर्ति हुई है।
प्रदेश में 10067 पेयजल योजनाएं हैं, कुल पेयजल योजनाओं में 17 फीसदी पेयजल योजनाओं पर सूखे की मार पड़ी है। गर्मियों के इस सीजन में शिमला जिला सबसे अधिक प्रभावित हुआ है और यहां की 680 पेयजल योजनाओं में पानी बहुत कम रह गया है। जबकि सोलन जिला में 249 परियोजनाओं में जल स्तर गिरने से लोगों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। जल शक्ति विभाग की प्रमुख मुख्य अभियंता अंजू शर्मा का कहना है कि 1797 पेयजल परियोजनाएं प्रभावित हुई हैं। लेकिन अधिक प्रभावित होने वाले जिले शिमला व सोलन हैं।
जबकि प्रदेश में पेजयल परियोजनाएं 50 फीसदी प्रभावित हुई है। बहुत कम संख्या 165 में पानी का स्तर 70 फीसदी से नीचे पहुंचा है। ऐसा नहीं है कि शिमला व सोलन जिला की इन परियोजनाओं में ऐसा पहली बार हुआ है। हर बार गर्मियों के दौरान छोटे जल स्त्रोतों में पानी कम होता है, और विभाग की ओर से प्रभावित परियोजनाओं के साथ दूसरी परियोजनाओं को जोड़कर पानी उपलब्ध करवाया जाता है और करवाया भी जा रहा है।
शिमला व सोलन जिलों में स्थिति अधिक गंभीर
शिमला जिला में रामपुर क्षेत्र को छोड़ दें तो शिमला जिला के अन्य क्षेत्रों में 457 पेयजल योजनाओं में जल स्तर 70 फीसदी से नीचे पहुंच गया है।, इसी तरह की स्थिति रोहडू में 223 पेयजल योजनाओं की भी है। इसके अतिरिक्त सोलन जिला के सोलन व धर्मपुर में 249 पेयजल योजनाओं के सूखने के कारण लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है। प्रदेश के 12 सर्कल में पेयजल योजनाओं में जल स्तर गिरावट हुई है।