प्रदेश हाईकोर्ट ने पीडब्ल्यूडी कर्मियों द्वारा सड़क निर्माण के दौरान लोगों की जमीनों पर मलबा फैंकने वाले ठेकेदार कारवाई न करने पर कड़ा संज्ञान लिया है। कोर्ट ने तीन सप्ताह के भीतर दोषी पीडब्ल्यूडी कर्मियों की भूमिका का पता लगाने के आदेश दिए। इसके पश्चात उनके खिलाफ उपयुक्त दोषारोपण करते हुए जरूरी कार्रवाई चलाने की मंजूरी प्रदान करने के आदेश भी दिए गए है।
मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने कोर्ट के आदेशों के बावजूद दोषी कर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही न करने को परेशान करने वाला पहलू बताया।
कोर्ट ने चंबा जिले के मोटला गांव में पीडब्ल्यूडी ठेकेदारों द्वारा अवैध रूप से मलबा फैंकने पर कार्यवाही की मांग को लेकर दायर याचिका की सुनवाई के पश्चात यह आदेश दिए। कोर्ट ने हैरानी जताई कि जिस मलबे को हटाने की लागत 64 लाख रुपए आंकी गई है उसके लिए दोषी ठेकेदार पर मात्र साढ़े 11 लाख रुपए का जुर्माना किया गया।
कोर्ट ने पीडब्ल्यूडी के दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही पर भी कोई जानकारी न देने को गंभीरता से लिया था। इस कारण कोर्ट ने सरकार को 6 नवम्बर तक मामले पर अनुपूरक शपथपत्र दाखिल करने के आदेश दिए थे। ताजा स्टेट्स रिपोर्ट में पीडब्ल्यूडी विभाग ने दोषी कर्मियों के खिलाफ किसी कार्रवाई का जिक्र नहीं किया था , जिसे गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने उपरोक्त आदेश जारी किए। याचिकाकर्ता संजीवन सिंह की याचिका में आरोप लगाया गया है कि ठेकेदार और लोक निर्माण विभाग की लापरवाही की वजह से पूरे गांव में मलबा भर गया है। इससे कई घरों और गौशालाओं को भारी क्षति हुई है। मामले पर सुनवाई 27 दिसम्बर को निर्धारित की गई है।