हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने युग हत्याकांड के दो दोषियों के मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलने का निर्णय सुनाया है। शिमला शहर में 2014 में हुए जघन्य हत्याकांड के दोषियों चंद्र शर्मा और विक्रांत की अपील को आंशिक रूप से स्वीकार कर उन्हें युग को बंधक बनाने और उसका अपहरण कर फिरौती मांगने के अपराधों से बरी कर दिया। निचली अदालत द्वारा उन्हें दिए मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलने का आदेश देते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि उन्हें अंतिम सांस तक कारावास में रहना होगा। एक दोषी तेजिंद्र पाल सिंह को बरी किया है। युग के पिता विनोद कुमार गुप्ता ने मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाने की बात कही है। उन्होंने कहा, वह बेटे को इंसाफ दिलाकर रहेंगे। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश राकेश कैंथला की खंडपीठ ने कहा, आरोपित वर्तमान मामले में मौत की सजा के हकदार नहीं हैं। यह मामला दुर्लभ में दुर्लभतम मामला नहीं है। खंडपीठ ने कहा, उन्होंने मोबाइल फोन पर वीडियो रिकार्डिंग भी देखी है और वे यह देखकर स्तब्ध हैं कि बच्चे को कैसे बांधा था और वह रो रहा था। शिमला के रामबाजार से 14 जून, 2014 को फिरौती के लिए चार साल के लड़के युग का अपहरण हुआ था। अगस्त 2016 में शिमला के भराड़ी में पानी के टैंक से युग का कंकाल मिला था। युग के साथ पत्थर बांधकर जिंदा पानी से भरे टैंक में फेंक दिया था।



