हिमाचल सरकार द्वारा बिजली कंपनियों पर लगाए जाने वाले वाटर सेस को लेकर हाईकोर्ट से हुए आदेशों पर सुप्रीम कोर्ट में रोक लग गई है। हाई कोर्ट ने अपने आदेशों में कहा था कि जिन कंपनियों से सरकार ने वाटर सेस की वसूली की है, उनको 6 सप्ताह के भीतर पैसा वापस किया जाए। मगर सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के आदेशों पर रोक लगा दी है।
हाई कोर्ट के आदेशों के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई है और शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई हुई। प्रदेश से भी अधिकारी दिल्ली गए हुए हैं। बताया जाता है कि शनिवार से सुप्रीम कोर्ट में गर्मियों का अवकाश हो गया है जोकि 2 जुलाई तक चलेगा। जिसके बाद वाटर सेस मामले पर सुनवाई की अगली तारीख लगाई जाएगी। तब तक प्रदेश सरकार को राहत मिली है जिसमें उसे कंपनियों को अभी पैसा नहीं देना पड़ेगा।
बता दें कि 36 करोड़ रुपये की राशि प्रदेश सरकार ने वाटर सेस के रूप में 21 कंपनियों से वसूल की है। इनमें सरकारी कंपनियां भी शामिल हैं जिसमें बिजली बोर्ड, पावर कारपोरेशन भी हैं। फिलहाल यह 36 करोड़ रुपये की राशि सरकार को अभी चुकता नहीं करनी है।
इसके अलावा बताया जाता है कि जिन कंपनियों के हक में हाई कोर्ट से फैसला आया था उनको भी सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस किया है। इन कंपनियों को भी अब सुप्रीम कोर्ट में आने वाले दिनों में अपना पक्ष रखना होगा। हिमाचल सरकार चाहती है कि उसे बिजली कंपनियां वाटर सेस दें जिसे लेकर मामला अदालत में पहुंचा है। इससे सरकार सालाना 2 हजार करोड़ रुपये की इनकम जुटाना चाहती है जो लक्ष्य सरकार ने रखा है। दरों को सरकार ने आधा कर दिया था जिसे बाद यह टारगेट तय किया गया था। मगर हाई कोर्ट से सरकार के विरूद्ध फैसला आया था जिसे अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट में 39 कंपनियों के खिलाफ 6 पैकेज में केस किया गया है। इसके लिए प्रदेश सरकार ने चार वरिष्ठ वकील भी रखे हैं। इनपर लाखों रुपये का खर्चा कर सरकार चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट से हिमाचल को राहत मिले। हाई कोर्ट के फैसले के बाद भी यहां वाटर सेस आयोग कायम है, जिसे बंद नहीं किया गया है। अब जब तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता तब तक वाटर सेस आयोग भी काम चलता रहेगा।