जुलाई के शुरूआत में आए प्रकृति के प्रकोप ने हिमाचल प्रदेश से शुरू होकर धीरे-धीरे पूरे देश को आगोश में भर लिया, परंतु भारी बारिश, भू-स्खलन और बाढ़ के कारण जितना खौफनाक मंजर हिमाचल ने देखा शायद ही किसी अन्य राज्य ने देखा हो। फिर भी, इस संकट का सामना करने में प्रदेशवासियों और राज्य सरकार ने मिलकर प्रदेश के मार्गदर्शक सिद्धांत ‘अतिथि देवो भव’ का उदाहरण प्रस्तुत किया।
अपने गर्मजोशी भरे आतिथ्य के लिए विख्यात हिमाचल प्रदेश के लोगों और मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्वयं पर्यटकों और स्थानीय लोगों की सुरक्षा और उनके पुनर्वास की बड़ी जिम्मेदारी ली है। इस आपदा के समय में यह प्रयास उल्लेखनीय समर्पण और निःस्वार्थता का प्रतीक बने हैं।
यह प्राकृतिक आपदा दशकों में सबसे गंभीर परिणाम लाई है जबकि राज्य की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण बचाव एवं राहत कार्य चुनौतीपूर्ण रहे हैं। इसके चलते प्रदेश के लोगों का साहस और राज्य सरकार की दक्षता दोनों का परीक्षण हुआ है।