एक लाख करोड़ के ऋण का रिकार्ड मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नाम लिखा जाएगा: जयराम ठाकुर

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नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा है कि प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने ऋण लेने के सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। प्रदेश पर एक लाख करोड़ रुपये का ऋण लेने का रिकार्ड मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नाम लिखा जाएगा। उन्होंने दावा किया कि जल्द ही प्रदेश एक लाख करोड़ रुपये के ऋण का आंकड़ा पार करने वाला है। नेता प्रतिपक्ष ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार ने कभी भी ऋण लेने की सीमा का उल्लंघन नहीं किया। लेकिन वर्तमान सरकार ने दो सालों में हर बार ऋण लेने की सीमा का उल्लंघन किया है।

मंगलवार को विधानसभा में अगले वित्त वर्ष 2025-26 के बजट पर चर्चा शुरू करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार दो साल के शासन काल में 27 हजार करोड़ रुपये से अधिक का ऋण ले चुकी है। जबकि पूर्व भाजपा सरकार ने पांच साल के कार्यकाल में केवल 28744 करोड़ का ही ऋण लिया। उन्होंने प्रदेश सरकार पर केंद्रीय योजनाओं के बजट से कर्मचारियों को वेतन और पेंशन देने का भी आरोप लगाया।

उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने जहां ऋण लौटाने के लिए ऋण लिया। वहीं, वर्तमान सरकार मित्रों को खुश करने के लिए ऋण ले रही है। ऋण लेना प्रदेश सरकार के लिए आज एक सच्चाई है, जिसकी शुरूआत वर्ष 1993 में अनावश्यक रूप से हुई है। उस समय प्रदेश की अर्थव्यवस्था पटरी से उतरी जो आजतक पटरी पर नहीं लौट पाई है। उन्होंने कहा कि कोई भी सरकार भरोसे से चलती है। मगर मौजूदा सरकार पर लोगों का भरोसा टूट चुका है क्योंकि मुख्यमंत्री सुक्खू ने पहले और दूसरे बजट में जो योजनाएं शुरू की थी, उनपर आज दिन तक काम शुरू नहीं हो पाया है। यही नहीं, विधानसभा चुनाव में दी गई गारंटियों को कांग्रेस सरकार पूरी तरह ही भूल चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने कोविड महामारी जैसी आपदा के समय भी प्रदेश का विकास नहीं रुकने दिया। लेकिन मौजूदा सरकार की गलत नीतियों के कारण आज प्रदेश के विकास में ताला लग चुका है।नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार ने केंद्रीय योजनाओं के तहत मिल रहे पैसे का दुरुपयोग कर रही है। इस पैसे से कर्मचारियों और पेंशनरों को वेतन और पेंशन दे रही है। उन्होंने दावा किया आज प्रदेश में विकास कार्य केवल केंद्र प्रायोजित योजनाओं से हो रहे हैं। क्योंकि प्रदेश सरकार के पास विकास के लिए पैसा ही नहीं है।

जयराम ठाकुर ने बजट को दिशाहीन करार दिया और कहा कि ऐसे में हिमाचल वर्ष 2027 में आत्मनिर्भर नहीं बन सकता। उन्होंने मुख्यमंत्री से फिजूलखर्ची रोकने और प्रदेश के बारे में सोचने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार ने भारी भरकम कर लगाकर प्रदेश के मध्य वर्ग की कमर तोड़ दी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की 23 लाख महिलाएं आज 1500 रुपये की सम्मान राशि मिलने का इंतजार कर रही है, लेकिन प्रदेश सरकार ने केवल 23 हजार महिलाओं को यह राशि केवल एक बार देकर छुट्टी कर दी है।

इतिहास में दर्ज होगा सबसे कम ग्रोथ वाला बजट

बजट को लेकर तुलनात्मक आंकड़ें पेश करते हुए जयराम ने कहा कि प्रदेश के इतिहास में सबसे कम ग्रोथ यानि कम वृद्धि वाला बजट है। उन्होंने कहा कि साल 2019-20 में हिमाचल के बजट में 7.11 प्रतिशत, 2020-21 में 10.69 प्रतिशत, 2021-22 में 2.16 प्रतिशत, 2022-23 में 2.34 प्रतिशत, 2023-24 में चार प्रतिशत, 2024-25 में 9.42 प्रतिशत और 2025-26 में महज 0.12 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है।

आरडीजी घटने से बजट का आकार घटा: सुखविंदर सिंह सुक्खू

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर द्वारा पेश किए जा रहे दावों को लेकर कहा कि केंद्र से मिलने वाली आरडीजी यानि राजस्व घाटा अनुदान घटने के कारण प्रदेश के बजट का आकार कम हुआ है। उन्होेंने कहा कि हिमाचल को वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान केवल मात्र 3257 करोड़ रुपये आरडीजी मिलेगी। बावजूद इसके सरकार ने बजट में सबका ध्यान रखा है। जबकि पूर्व भाजपा सरकार के समय 16 हजार करोड़ रुपये जीएसटी मुआवजे के रूप में आया था। तत्कालीन भाजपा सरकार ने इस पैसे को दुरूपयोग किया। जबकि इस धनराशि का सदुपयोग करके प्रदेश का ऋण चुकाने में किया जा सकता था। यही नहीं, पूर्व भाजपा सरकार के समय प्रदेश की ऋण लेने की सीमा पहले साढ़े चार प्रतिशत, फिर साढ़े तीन प्रतिशत थी। जिसे अब केंद्र सरकार ने घटाकर तीन प्रतिशत कर दी है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने यह भी दावा किया कि पूर्व सरकार के समय जीएसटी की चोरी होती थी, जिसे वर्तमान सरकार ने रोका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह बजट पेश करने के लिए इसलिए आल्टो कार में आते हैं, क्योंकि मैं आम आदमी का दर्द समझता हूं। हम प्रदेश के हितों की रक्षा करने के लिए सत्ता में आए हैं। जोकि व्यवस्था परिवर्तन के सहारे संभव किया जा रहा है।

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