शिमला के छराबड़ा स्थित होटल वाइल्ड फ्लावर हाल के स्वामित्व व शेयरों के हस्तांतरण से जुड़े मामले में हाई कोर्ट ने प्रधान सचिव (पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन) को 50,000 रुपये की कास्ट लगाई है। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने कास्ट की राशि एडवोकेट जनरल कार्यालय में जमा करवाने के आदेश पारित किए हैं। प्रधान सचिव को महाधिवक्ता की शक्तियों के विरुद्ध कार्य करने पर यह कास्ट लगाई है। कोर्ट ने आदेश में स्पष्ट किया कि प्रदेश सरकार के प्रधान सचिव की ओर से महाधिवक्ता द्वारा कोर्ट में दिए गए वक्तव्य को अनजाने में दिया हुआ बताकर गलत दिशा में उठाया गया और अपमानजनक कदम है, जो विभिन्न कार्यालयों की परिभाषित सीमाओं का उल्लंघन करता है।
महाधिवक्ता ने 27 मार्च को हाई कोर्ट में कहा था कि सरकार की ओर से इस मामले में दायर दो आवेदनों के निर्णय के पश्चात ईस्ट इंडिया होटल्स लिमिटेड (ईआइएचएल) द्वारा शेयरों का हस्तांतरण किया जाएगा। महाधिवक्ता ने शेयरों के हस्तांतरण पर कहा था कि यह आंतरिक रूप से शेयरों के मूल्यांकन से जुड़ा हुआ है। शेयरों के मूल्यांकन पर पक्षों के बीच विवाद है। मूल्यांकन किए बिना शेयरों को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है। पर्यटन सचिव ने महाधिवक्ता के कथन से किनारा करते हुए कहा था कि यह बयान अनजाने में दिया गया था जबकि राज्य सरकार इस पर कभी सहमत नहीं हुई।