राजनीति की तू-तू मैं के बीच में केंद्रीय योजनाओं से हिमाचल में सरल हुई विकास की डगर

0

हिमाचल प्रदेश के चुनावी रण में चार संसदीय सीटों पर जीत पाने के लिए कांग्रेस की ओर से चीर परिचित अंदाज में प्रचार कर आमजन का रूख मोड़ने का प्रयास हो रहा है। इसके लिए प्रदेश की सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार केंद्र सरकार की आलोचना करने के बजाए सांसदों को निशाने पर रखना उचित समझ रही है। केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर व सांसद सुरेश कश्यप को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। मंडी संसदीय सीट उप-चुनाव में हारने के बाद भाजपा ने इस सीट पर फिल्मी पर्दे की ख्याति प्राप्त अभिनेत्री कंगना रनौत को चुनाव मैदान में उतारा है तो कांगड़ा संसदीय सीट से टिकट बदलकर राजीव भारद्वाज को चुनावी रण में उतारा है।

डेढ़ साल पहले प्रदेश में डबल इंजन सरकार चल रही थी, कि प्रदेश की जनता ने सत्ता परिवर्तन करते हुए भाजपा को हटाकर कांग्रेस को हिमाचल प्रदेश की सत्ता सौंपी। लेकिन केंद्रीय योजनाओं का स्पर्श प्रदेश के किसान और महिलाएं बराबर महसूस करते रहे हैं। केंद्र सरकार की योजनाएं पहाड़ों में विकास की डगर को सरल बनाती चली गई। किसानों को बिना किसी बिलंब के किसान सम्मान राशि समयानुसार प्राप्त हो रही है।

बीमारी में कर्जदार होने वाले लोग स्वास्थ्य उपचार संबंधी आयुष्मान योजना से लाभ उठा रहे हैं। पहाड़ों में लोग भोजन पकाने के लिए जंगलों पर निर्भर थे, मगर उज्जवला योजना ने महिलाओं के सिर पर पड़ने वाला लकड़ियों का बोझ उतार दिया। दस साल में के सत्ताकाल में विकट भोगोलिक परिस्थितियों वाले राज्य देवभूमि में सार्थक बदलाव देखने को मिला है। केंद्रीय योजनाओं से हिमाचल प्रदेश में विकास की डगर सरल हुई। आर्थिक संकट से जूझ रही प्रदेश सरकार के लिए विकास का रथ तेली से खींचना संभव नहीं है, ऐसे में केंद्रीय योजनाओं से पहाड़ पर विकास की गहरी रेखाएं खींची है। जिसके केंद्र में किसान और महिलाएं प्रमुखता से हैं।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here