हिमाचल प्रदेश सरकार फिर से एक हजार करोड़ का ऋण लेगी। केंद्र सरकार की अनुमति के बाद सरकार ने 600 करोड़ व 400 करोड़ के ऋण लेने की तैयारी कर ली है। ऋण की इस रकम को प्रदेश के विकास पर खर्च किया जाएगा। ऋण की राशि सरकार प्रतिभूतियों की नीलामी से जुटाएगी। 600 करोड़ की ऋण की रकम को सरकार 8 साल अर्थात 2030 में लौटाएगी तथा 400 करोड़ के ऋण को 2032 अर्थात दस साल बाद लौटाया जाएगा। ऋण लेने के मकसद से सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है।उल्लेखनीय है कि प्रदेश की माली हालत पर छठे पंजाब वेतन आयोग की सिफारिशों का अतिरिक्त बोझ पड़ा है। वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद खजाने पर हर साल करीब 850 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ा है। एक ओर जहां खजाने पर खर्चों का बोझ बढ़ता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर केंद्र से मिलने वाली राजस्व घाटा अनुदान की राशि में कटौती हुई है। साथ ही आगामी जुलाई माह से खजाने में जीएसटी मुआवजे के तौर पर आने वाली रकम भी आना बंद होगी। नतीजतन अब सरकार को विकास कार्यों के लिए कर्जों पर निर्भर रहना होगा।