देश-विदेश में ख्याति प्राप्त आयुर्वेदिक चिकित्सक डा. अनुराग विजयवर्गीय रोजाना की तरह शिमला स्थित राज्य मुख्यालय डिस्पेंसरी में मरीजों का उपचार कर रहे थे कि चार वर्ष पहले अचानक कुछ लोगों ने सूचित किया कि एक कर्मचारी को अधरंग का अटैक पड़ा है। जैसे-तैसे अधरंग पीड़ित को डा. अनुराग के पास लाया गया।
तुरंत पीड़ित को तिल का तेल पिलाया गया और कुछ देर में मरीज की स्थिति सुधरी। कई महीनों तक राज्य सचिवालय की डिस्पेंसरी में नियमित उपचार होते रहने का परिणाम ये निकला की अधरंग पीड़ित कर्मचारी सामान्य लोगों की तरह नौकरी कर रहा है। सचिवालय में एक अन्य कर्मचारी संसार चंद चंदेल को एलोपेथिक चिकित्सकों ने डिस्क की गंभीर समस्या के चलते आपरेशन करवाने के लिए लिखा था। डा. अनुराग विजयवर्गीय ने बिना किसी आपरेशन के उसे स्वस्थ किया।
डा. अनुराग विजयवर्गीय भले ही आयुर्वेदिक चिकित्सक हैं, लेकिन हजारों लोगों का सफलतापूर्वक उपचार कर चुके हैं। इनपर लोगों को विश्वास है, तभी प्रदेश के लगभग सभी स्थानों से उपचार करवाने के लिए मरीज इनके पास पहुंचते हैं। इतना ही नहीं, अब तो मरीज देश-विदेश से संपर्क स्थापित करके असाध्य और गंभीर बीमारियों का उपचार प्राप्त करते हैं। एक नहीं, अनेकों मरीजों का विभिन्न तरह की पत्थरी संबंधी समस्याओं का उपचार कर चुके हैं।
डा. अनुराग विजयवर्गीय का कहना है कि सामान्य तौर पर खून की जांच करके बीमारियों का पता चलता है। लेकिन डा. अनुराग चेहरा देखकर, आंखों का रंग, नाक, होंठ, चेहरे के तिल, बालों को देखकर सही-सही बीमारी बतलाते हैं। ये कहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को शाकाहारी भोजन करना चाहिए। घर से बाहर किसी भी तरह के उपक्रम में तैयार होने वाली खाने-पीने की चीजों से दूरी बनाए रखने से पूर्णत: स्वस्थ रहा जा सकता है। रात्रि भोजन न किया जाए तो शरीर के लिए सर्वोत्तम रहेगा।
दो राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त
देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से वर्ष 2011 व 2014 में डा. अनुराग विजयवर्गीय दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हैं। उन्हें ये राष्ट्रीय पुरस्कार गृह मंत्रालय द्वारा आयुर्वेद से उपचार की तकनीकी विषय लिखी गई पुस्तकों के लिए प्रदान किया गया था। डा. अनुराग विजयवर्गीय अब तक आयुर्वेद से उपचार संबंधी 14 पुस्तकों का लेखन कर चुके हैं। आयुर्वेद अपनाएं, कैंसर भगाएं, आयुर्वेद पुरूषों के व महिलाओं के लिए आयुर्वेद सहित मानवीय कल्याण के लिए कई पुस्तकों का प्रकाशन कर चुके हैं।