सचिवालय कर्मचारी संगठनों के निशाने पर आए मंत्री राजेश धर्माणी, गलत बयानबाजी करने के लिए माफी मांगे

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– 27 तक वार्ता के लिए नहीं बुलाया तो 28 अगस्त से काले बिल्ले लगाकर करेंगे विरोध

– विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान नहीं होगी रोष रैली

– 10 या 11 सितंबर को जनरल हाऊस में बनेगी आगामी रणनीति

डीए एवं एरियर की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे प्रदेश सचिवालय के 5 संगठनों के निशाने पर शुक्रवार को नगर एवं ग्राम नियोजन व तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी निशाने पर रहे। दरअसल बीते दिन राजेश धर्माणी ने बयान दिया था कि कर्मचारी नेता अपनी चमचागिरी चमकाने के लिए उल्टे-सीधे बयान दे रहे हैं। उनका यह भी कहना था कि यदि प्रतिकूल हालात में कर्मचारी सरकार का साथ नहीं देते तो आने वाले समय में उनके वेतन में कटौती भी हो सकती है।

कर्मचारियों ने राजेश धर्माणी से माफी मांगने की शर्त रखी। सचिवालय के तीन संगठनों को राजेश धर्माणी द्वारा दिया गया बयान खूब अखरा और उन्हें खूब खरी खोटी सुनाई। शुक्रवार को सचिवालय के आर्म्जडेल भवन के प्रांगण में आयोजित जरनल हाऊस में हिमाचल प्रदेश सचिवालय कर्मचारी महासंघ के प्रधान संजीव शर्मा ने कहा कि पहले कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी उनके 3 सवालों का जवाब दे।

पहला, मोबाइल पर 500 रुपये प्रतिमाह पर अनलिमिटेड काल की सुविधा मिलने पर मंत्री टेलीफोन पर मिलने वाले 20 हजार रुपये के भत्ते में से 19,500 रुपये क्यों नहीं छोड़ते? दूसरा, मंत्री 95 हजार का सत्कार भत्ता लेते हैं, तो क्या वह उसको छोड़ सकते हैं? तीसरा, जिन दो कैबिनेट मंत्रियों के कार्यालयों पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं, उसके ऊपर उनकी क्या प्रतिक्रिया है? उन्होंने राजेश धर्माणी से अपने बयान के लिए माफी मांगने को कहा। उन्होंने यह भी पूछा कि सरकार क्यों सेवानिवृत्ति के बाद राम सुभग सिंह जैसे नौकरशाह पर मेहरबान है? उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश की अफसरशाही सरकार को गुमराह करके अपने हित साध रही है।

उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि 27 अगस्त तक सरकार उनको वार्ता के लिए नहीं बुलाती, तो 28 अगस्त से काले बिल्ले लगाकर सरकार का विरोध किया जाएगा। हालांकि कर्मचारी मानसून सत्र के दौरान किसी तरह की रोष रैली नहीं निकालेंगे तथा इसकी समाप्ति के बाद 10 या 11 सितंबर को तीसरी बार जनरल हाऊस करके आगामी रणनीति अपनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार वार्ता को बुलाने और कर्मचारियों की लंबित मांगों को पूरा करने में जितनी अधिक देरी करेगी, कर्मचारी सरकार और अफसरशाही की एक-एक करके परतें खोलती रहेगी। सचिवालय कर्मचारी महासंघ के प्रधान संजीव शर्मा ने आरोप लगाया कि जो सरकार वित्तीय संकट का रोना रो रही है, उसी सरकार के अधिकारियों की नालायकी के कारण प्रदेश में वर्ष, 2023 में 114 करोड़ रुपये लैप्स हो गए।

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