हिमाचल प्रदेश सरकार ने भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी और पेपर लीक पर नकेल कसने के लिए बड़ा कदम उठाया है। प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल करते व नकल करवाते व पेपर लीक जैसे मामलों शामिल आरोपितों पर सख्त कार्रवाई होगी। यह सभी अपराध संज्ञेय, गैर-जमानती होगा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सोमवार को विधानसभा में हिमाचल प्रदेश लोक परीक्षा (अनुचित साधन निवारण) विधेयक-2025 सदन में पेश किया जाएगा। चयन परीक्षाओं में पारदर्शिता लाने और युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों पर कड़ा शिकंजा कसने के लिए सरकार ने इस विधेयक में सख्त प्रविधान किए हैं। चयन परीक्षाओं में नकल करते व नकल करवाते व पेपर लीक करने के अपराध में संलिप्त पाया जाता है और अपराध साबित हो जाता है तो न्यूंतम तीन साल व अधिकतम पांच साल की सजा का प्रविधान किया गया है। इसके अलावा 10 लाख तक जुर्माने का प्रविधान भी किया गया है। सजा व जुर्माना दोनों एक साथ भी लगाए जा सकते हैं। सरकार का यह कदम प्रदेश में कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर जैसे संस्थानों में हुए पेपर लीक मामलों के मद्देनजर उठाया जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में राज्य में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक और संगठित नकल के कई मामले सामने आए हैं, जिससे लाखों अभ्यर्थियों का भविष्य प्रभावित हुआ। सरकार के फैसले को युवाओं और शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता की दिशा में अहम माना जा रहा है।
यह भी किए प्रविधान
यदि कोई सेवा प्रदाता नकल करवाने के मामले में संलिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ भी सख्त प्रविधान किए गए हैं। सेवा प्रदाता पर एक करोड़ रुपए तक के जुर्माना लगाने का प्रविधान किया गया है। परीक्षा का जो भी खर्च होगा वह सारा सेवा प्रदाता से ही वसूल किया जाएगा। वह कोई लोक परीक्षा संचालित करने के लिए किसी भी उत्तरदायित्व के सौंपे जाने पर चार साल की अवधि के लिए रोक दिया जाएगा।
ये है प्रविधान
विधेयक के प्रविधानों के मुताबिक भर्ती परीक्षाओं में अनुचित साधनों का इस्तेमाल अर्थात पेपर लीक करना , परीक्षा में किसी अनुचित साधन का इस्तेमाल करना, ओएमआर सीट के साथ साथ डिजिटल माध्यमों का अनुचित उपयोग परीक्षा में करने की स्थिति में 3 से 5 साल कारावास की सजा होगी। इसके अलावा 10 लाख तक जुर्माना भी होगा। जुर्माने का भुगतान न करने की स्थिति में सजा भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के प्रविधानों के मुताबिक होगी। सेवा प्रदाता द्वारा परीक्षा में अनुचित साधनों का इस्तेमाल करने पर एक करोड़ जुर्माना होगा तथा 4 साल तक उसे किसी परीक्षा का जिम्मा नहीं सौंपा जाएगा। दोष सिद्ध होने पर सेवा प्रदाता कंपनी के निदेशक अथवा अन्य कर्मियों को 3 से 10 साल की सजा होगी।
पुलिस पेपर लीक के बाद सामने आया था मामला
पुलिस भर्ती परीक्षा में पेपर लीक का मामला पूर्व सरकार के समय में सामने आया था। तत्कालीन सरकार ने पेपर रद्द कर दिया था। इसके बाद पेपर लीक के कई मामले सामने आए थे। जिस की जांच अभी भी चल रही है। यह परीक्षाएं पूर्व सरकार के समय में हुई थी। जिसके चलते सरकार ने परीक्षाओं के परीणाम रोके थे। कुछ परीक्षाओं को रद्द भी किया गया था। 26 दिसंबर 2022 को कर्मचारी चयन आयोग निलंबित किया गया था। उसके बाद 21 फरवरी 2023 कर्मचारी चयन आयोग भंग कर दिया गया था।