आश्वासन पूरे नहीं करने वाले मंत्रियों को कमेटी के बजाए मेरे चैंबर में जबाव देने के लिए आना पड़ेगा: कुलदीप सिंह पठानिया

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प्रदेश विधानसभा में विभिन्न मुद्दों पर आश्वासन देने वाले अथवा घोषणाएं करने वाले मंत्रियों की अब विधानसभा जवाब देही तय करेगी। हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने प्रदेश विधानसभा की एश्योरेंस(आश्वासन)कमेटी को फिर से गठित करने की घोषणा की है। कुलदीप सिंह पठानिया ने वीरवार को शिमला में एक पत्रकार वार्ता में कहा कि मंत्रियोंं को कमेटी के बजाए मेरे चैंबर में उपस्थित होना पड़ेगा। यह कमेटी पहले विधानसभा में अन्य समितियों की तरह कार्य करती थी। लेकिन पिछले कई सालों से इस कमेटी का गठन नहीं हुआ है और विधानसभा अब 28 साल बाद फिर से इस कमेटी का गठन करने जा रही है।

आश्वासन कमेटी के अभाव में विधानसभा में मंत्रियों अथवा सरकार की ओर से दिए जाने वाले आश्वासनों अथवा घोषणाओं की मानिटरिंग नहीं हो रही है। ऐसा भी देखने में आया है कि मंत्रियों की ओर से पांच या इससे अधिक वर्ष पहले दिए गए आश्वासनों पर कोई काम नहीं हुआ। बार-बार विपक्षी सदस्यों की ओर से मंत्रियों से पुराने प्रश्न पूछे जाते रहे हैं। इसी के दृष्टिगत विधानसभा ने अपनी आश्वासन समिति को फिर से गठित करने का फैसला किया है ताकि जनहित में होने वाली घोषणाओं अथवा दिए जाने वाले आश्वासनों को विधानसभा के माध्यम से लागू करवाया जा सके।

उन्होंने कहा कि सरकार के अधिकारियों द्वारा लोगों व कर्मचारियों की समस्याओं व मुद्दों को नजरअंदाज किया जाता रहा है। लेकिन याचिका कमेटी की गत रोज हुई बैठक में 55 समस्याओं में से अधिकांश का निपटारा किया गया। शेष याचिकाओं पर निर्धारित समय के भीतर जबाव मांगा गया है। इस कमेटी के माध्यम से सरकारी स्तर पर विभिन्न विभागों के कर्मचारियों के उन मुद्दों का निपटारा होगा। जिनके लिए कर्मचारियों को अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ता है, क्योंकि विभागीय स्तर पर उन्हें किसी न किसी कारण न्याय नहीं मिलता।

12 बिल राज्यपाल व राष्ट्रपति के पास लंबित

14वीं विधानसभा में अब तक कुल 73 विधेयक पारित किए गए हैं। इनमें से 12 विधेयक ऐसे हैं, जिन्हें राज्यपाल अथवा राष्ट्रपति से अभी मंजूरी मिलना बाकी है। उन्होंने कहा कि विधानसभा के बजट सत्र के दौरान विधानसभा सदस्यों और पूर्व सदस्यों के वेतन व पेंशन का विधेयक पारित हुआ है। इसे अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के मुताबिक यदि विधानसभा, लोकसभा और राज्यसभा द्वारा पारित किए जाने वाले विधेयकों को 3 महीने के भीतर राज्यपाल अथवा राष्ट्रपति से मंजूरी नहीं मिलती है तो ऐसे विधेयकों को स्वतः स्वीकृत माना जाएगा। ऐसे में जिन विधेयकों को अभी तक मंजूरी नही मिली है, उन्हें स्वतः ही मंजूर माना जाएगा।

मैं एक माह का वेतन आपदा कोष में दूंगा

प्रदेश में प्राकृतिक आपदा की स्थिति को देखते हुए मैं एक माह का वेतन आपदा कोष में दूंगा। इसकी घोषणा सत्र के दौरान करूंगा। उनका कथन था कि व्यक्तिगत तौर पर मैं इस समय विधायकों के वेतन, भत्ते और पेंशन में बढ़ोतरी के पक्षधर नहीं हूं, क्योंकि इस समय प्रदेश आपदा से जूझ रहा है। ऐसे में सरकार का पूरा ध्यान आपदा प्रभावितों के कल्याण और पुनर्वास पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष पहले भी प्राकृतिक आपदा प्रभावितों की मदद के लिए आगे आता रहा है। विधानसभा अध्यक्ष ने एक सवाल के जवाब में कहा कि भाजपा विधायकों के खिलाफ अवमानना का मामला अभी लंबित है।

विधायकों के लिए 12, 18 व 22 हजार मासिक किराया घोषित किया गया

हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने पूछे गए प्रश्न के उत्तर में कहा कि विधानसभा के आधिकारिक एमएलए व कर्मचारी आवास मेट्रोपोल का नए सिरे से 36 करोड रुपये की लागत से निर्माण होगा। इसके लिए सरकार से बजट प्राप्त हो चुका है। लोक निर्माण विभाग ने मेट्रोपोल को असुरक्षित घोषित किया हुै। हालांकि इसमें अभी भी कुछ विधायक और विधानसभा के कर्मचारी रह रहे हैं। इन विधायकों और कर्मचारियों को फिलहाल वैकल्पिक आवास नहीं मिले हैं। इस कारण मेट्रोपोल को खाली नहीं किया जा सका है। मेट्रोपोल में रह रहे विधानसभा के कर्मचारियों को सरकार की ओर से 12 हजार, 18 हजार और 22 हजार रुपये आवास किराया के तौर पर निश्चित किए हैं।

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