टाटा स्टील के कर्मचारियों के लिए रतन टाटा भगवान की तरह थे। वे बेहद ही सरल स्वभाव वाले थे। समूह के चेयरमैन होने के बावजूद उन्हें कई कर्मचारियों का नाम मुंह जुबानी याद रहती थी। इसलिए जब भी वे जमशेदपुर आते, कंपनी के शाप फ्लोर पर जाकर अपने साथ काम कर चुके पुराने कर्मचारियों से जरूर मिलते थे। टाटा स्टील ही नहीं बल्कि टाटा समूह के सभी कर्मचारियों के लिए रतन टाटा का जाना एक अपूरणीय क्षति के समान है।
टाटा स्टील के पुराने कर्मचारियों का कहना है-रतन टाटा धरातल से जुड़े हुए व्यक्तित्व थे। वे टीम वर्क पर विश्वास करते थे। चेयरमैन होने के बावजूद वे बेहद सरल स्वभाव वाले शख्स थे, इसलिए कर्मचारी उसे कंपनी का अधिकारी नहीं बल्कि अपने बीच का साथी मानते थे। रतन टाटा दो मार्च 2021 को अंतिम बार जमशेदपुर आए थे। इस दौरान वे संस्थापक जेएन टाटा की जयंती पर आयोजित संस्थापक दिवस समारोह में सम्मिलित हुए और हमेशा की तरह सभी कर्मचारियों से मुलाकात की थी। कोविड-19 के दौर के बावजूद रतन टाटा ने सभी को हाथ हिलाकर उनका अभिवादन स्वीकार किया था। कर्मचारी से लेकर उनके आश्रित भी रतन टाटा की एक झलक पाने के लिए लालायित रहते थे।