राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आज जिला कुल्लू के देव सदन में रूपी-सराज कला मंच, हिमाचल कला, भाषा एवं संस्कृति अकादमी और संस्कार भारती हिमाचल प्रदेश के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने भारत की समृद्ध संस्कृति और उच्च परम्पराओं की विभिन्न आयामों को प्रदर्शित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि हमें इन परम्पराओं को पुनर्स्थापित करने के लिए काम करना चाहिए।
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श्री आर्लेकर ने कहा कि प्रत्येक राष्ट्र के अस्तित्व का एक उद्देश्य होता है और हमारी परम्पराओं ने पूरी दुनिया को शिक्षित किया है। संपूर्ण विश्व हमारे विचारों, अस्तित्व, धरोहर और परम्पराओं से सीख रहा है परंतु दासता वाली मानसिकता ने हमें हमारी परंपराओं से दूर कर दिया है। अब समय है कि हम वैचारिक स्वतंत्रता की ओर अग्रसर हों। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के सम्मेलन हमें इस दिशा में आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करते हैं।