शिमला नगर निगम चुनाव के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश

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सुप्रीम कोर्ट से शिमला नगर निगम चुनाव के लिएपांच वार्डों के पुनः सीमांकन पर लगाई रोक से जुड़े मामले पर निर्वाचन आयोग को फिलहाल कोई राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट में निर्वाचन आयोग ने हाईकोर्ट द्वारा इन वार्डों के पुनः सीमांकन पर लगाई रोक को चुनौती दी है। सर्वोच्च न्यायालय में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया था कि मामला हाईकोर्ट में 16 अगस्त को सुनवाई के लिए लगा था और हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिए टाल दी है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से आग्रह किया कि मामले पर कानून के अनुसार जल्द से जल्द सुनवाई करे। सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 26 सितम्बर को रखी गई है। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट में नगर निगम के 5 वार्डों के पुनः सीमांकन पर लगाई रोक मामले पर हुई सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के 21 जुलाई के उन आदेशों को चुनौती दी है जिसके तहत हाईकोर्ट ने इन वार्डों के पुनः सीमांकन पर रोक लगा दी थी।

हाईकोर्ट ने इसके पश्चात मामले पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए टाल दी थी। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार नाभा फागली टूटीकंडी समर हिल व बालूगंज वार्डों का पुनः सीमांकन मनमाने तरीके से किया गया है। फ़ागली व टूटी कंडी वार्डों के क्षेत्र को बढ़ाने के लिए नाभा वार्ड के क्षेत्र को बिल्कुल कम कर दिया गया। पहले की अपेक्षा अब नाभा वार्ड आधा रह गया। फ़ागली वार्ड को इतना बड़ा कर दिया कि नगर निगम के सभी वार्डों की अपेक्षा फागली वार्ड का क्षेत्र अधिक हो गया।  इसके अलावा बालूगंज वार्ड का वह क्षेत्र भी समरहिल में मिला दिया गया जो कि बालूगंज के नाम से ही जाना जाता है। याचिकाकर्ता का यह आरोप है कि राजनीतिक लाभ लेने के उद्देश्य से इन वार्डों का पुनः सीमांकन किया गया है जो कि कानून की दृष्टि से गलत है। प्रार्थी ने 24 जून 2022 व 8 जुलाई 2022 को मंडलीय आयुक्त शिमला व उपायुक्त शिमला द्वारा पारित आदेशों को रद्द करने की न्यायालय से गुहार लगाई है।

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