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आधा महीना गुजर गया, परिवहन निगम के पेंशनर्ज को पेंशन नहीं मिली

हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के 8500 पेंशनरों को फरवरी महीने के दो सप्ताह गुजर जाने के बाद अभी तक पेंशन नहीं मिल पाई है। पेंशनर हर रोज मोबाइल मेसेज देखते हैं और परिवहन निगम मुख्यालय में पेंशन के संबंध में अधिकारियों से पूछते हैं, हमें पेंशन कब मिलेगी। पेंशनर्ज काे पेंशन देने के लिए निगम प्रबंधन के पास पर्याप्त बजट नहीं है और पेंशनरों को पेंशन देने के लिए 22.50 करोड़ की आवश्यकता है। जबकि हर महीने सरकार निगम को 60 करोड़ रुपये वेतन-पेंशन के लिए डालती है। इस माह पेंशनरों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिसके फलस्वरूप पेंशन धनराशि बढ़ी है। परिवहन निगम प्रबंधन को कर्मचारियों के वेतन और पेंशन के लिए सालाना 750 करोड़ रुपये की आवश्यकता रहती है। निगम के अधिकारियों का कहना है कि जैसे की बजट उपलब्ध होगा, सभी पेंशनर्ज को पेंशन बैंक खातों में डाल दी जाएगी।

हिमाचल पथ परिवहन पेंशनर्ज कल्याण संगठन के अध्यक्ष केसी चौहान का कहना है कि पेंशनरों के साथ न्याय नहीं हो रहा। उनका कहना है कि पेंशनर पूरी तरह से पेंशन पर निर्भर करते हैं और घर का खर्च पेंशन के सहारे चलता है। हालत ये हो चुकी है कि बीमारी की हालत में दवाइयां खरीदने के लिए भी पेंशनरों के पास पैसा नहीं होता है। इस स्थिति में रिश्तेदारों व लोगों से उधार उठाना पड़ता है। इस पर परिवहन पेंशनर्ज कल्याण संगठन के महासचिव सुरेंद्र गौतम का कहना है कि पेंशनरों को पेंशन देने की कोई निर्धारित समय सीमा नहीं है। हम चाहते हैं कि जिस तरह से निगम के कर्मचारियों को महीने के पहले सप्ताह में वेतन की अदायगी हो जाती है, ठीक उसी तरह से पेंशनरों को भी पेंशन मिलनी चाहिए। जीवन के अंतिम पड़ाव पर प्रत्येक पेंशनर की स्वास्थ्य संबंधी और पारिवारिक जरूरतें अधिक रहती हैं। पेंशनर्ज कल्याण संगठन के दोनों पदाधिकारियों का कहना है कि हमें सताया न जाए और निगम प्रबंधन पेंशन की व्यवस्था करने के मामले को गंभीरतापूर्वक ले।

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