पूर्व उद्योग मंत्री एवं भाजपा विधायक बिक्रम ठाकुर ने आज शिमला में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि हिमाचल की वर्तमान सरकार हर उस वर्ग के खिलाफ काम कर रही है, जिसे सामाजिक सुरक्षा और संवैधानिक अधिकारों की सबसे ज्यादा जरूरत है। चाहे बीपीएल सर्वे हो, पंचायतों की स्वायत्तता, कर्मचारी हित, महिला सम्मान या जनसुविधाएं – हर मोर्चे पर सरकार ने जनविरोधी निर्णय लिए हैं।
बिक्रम ठाकुर ने कहा कि सरकार ने बीपीएल सूची में शामिल होने के लिए सालाना आय ₹50,000 तय की है, लेकिन यह मानक केवल पहले से सूची में दर्ज परिवारों पर ही लागू किया जा रहा है। नए आवेदन करने वाले गरीब परिवारों की वास्तविक आय को तहसील स्तर पर जानबूझकर ₹50,000 से ऊपर दर्शाया जा रहा है, जिससे उन्हें बीपीएल सूची से वंचित किया जा सके।
उन्होंने सवाल उठाया कि यदि किसी गरीब परिवार को पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की आवास योजना के तहत एक पक्का कमरा मिला है तो क्या यह अब गरीबी की श्रेणी से बाहर हो गया? सरकार स्पष्ट करे कि योजना का लाभ लेने वाला गरीब क्या अब बीपीएल सूची में रहने का हकदार नहीं है? पूर्व की तुलना में भूमि की अधिकतम सीमा दो हेक्टेयर से घटाकर एक हेक्टेयर करना सरकार की गरीब विरोधी मानसिकता का प्रमाण है।
बिक्रम ठाकुर ने आरोप लगाया कि सरकार ने पंचायतों की वित्तीय और प्रशासकीय शक्तियां समाप्त कर दी हैं। अब ग्राम सभा के निर्णयों को दरकिनार कर अधिकारियों को यह अधिकार दे दिया गया है कि वे तय करें कौन बीपीएल सूची में होगा। पंचायत फंड के ब्याज को वापिस लेना, अनस्पेंट राशि पर तीन दिनों के भीतर रिवर्सल का आदेश देना और संपत्ति कर की आय भी छीन लेना – ये सब दर्शाते हैं कि सरकार पंचायतों को पूरी तरह से कमजोर करना चाहती है।
उन्होंने कहा, “पंचायत प्रधान अब नल-जल मित्रों की ट्रेनिंग फीस भरें, कांगड़ा महोत्सव के नाम पर चंदा दें, और फिर भी विकास के नाम पर सरकार से ठोकरें खाएं।”