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हिमाचल निर्माता डा. परमार के बाद संशाधन सर्जन की दिशा में कदम उठाने वाले सुक्खू पहले मुख्यमंत्री

आर्थिक संकट में डूबे राज्य को पटरी पर लाने के लिए सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने सबसे पहले फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाने की दिशा में काम किया। हिमाचल निर्माता डा. परमार ने तो राज्य की रचना की और पहाड़ी प्रदेश के लिए एक बृहद विकास का रोडमैप रेखांकित किया था। उसके बाद सुक्खू पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने राज्य को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए वित्तीय प्रबंधन को परिभाषित किया और राज्य का राजस्व बढ़ाने के लिए उत्साहित और प्रगतिशील कदम उठाए। जिसका परिणाम ये है कि सत्ता के पहले वर्ष ही 2600 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व जुटाकर हिमाचल प्रदेश के विकसित राज्य की ओर कदम बढ़ाए। ऐसा अनुमान है कि वर्तमान वित्त वर्ष के अंत तक दूसरे वर्ष में अतिरिक्त राजस्व 3200 करोड़ तक पहुंच जाएगा। इसके अतिरिक्त प्रदेश के लोगों को विश्वास में लेकर ऐसे कर लगाए, जोकि आम आदमी पर किसी तरह से बोझ न बने और लोग कर देने के लिए स्वयं भी आगे आए। आमतौर पर बजट का बड़ा हिस्सा ऋण की किश्त और ब्याज चुकाने में जा रहा था। आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिए सख्त निर्णय लिए और नि:शुल्क सेवाओं में भी कटौती की।

ये कदम उठाए गए और सार्थक परिणाम सामने आए

सरकारी गाड़ियों के पेट्रोल का खर्च कम करने की दिशा में कदम उठाए गए हैं। सरकारी विभागों में इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग अनिवार्य किया जा रहा है। पहली बार विद्युत परियोजनाओं की ओर से उपयोग किए जा रहे जल को कर के दायरे में लाया गया। जिससे वार्षिक 1750 करोड़ रुपये की आय होने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। मुफ्त घरेलू पेयजल की सुविधा को समाप्त किया गया और प्रत्येक परिवार को मासिक 100 रुपये किया गया। उपभोक्ताओं को मिल रहा 125 यूनिट विद्युत उपदान खत्म किया गया। शराब की प्रत्येक बोतल की बिक्री पर दस रुपये सेस लगाया गया। हाल ही में मुख्यमंत्री, कई मंत्रियों, विधायकों और प्रथम व द्वितीय श्रेणी कर्मचारियों को प्राप्त होने वाली विद्युत उपदान की सुविधा को खत्म किया गया। सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों को पहली तारीख को वेतन-पेंशन की व्यवस्था में परिवर्तन करने से सरकार को सालाना 36 करोड़ की बचत करने का प्रयास किया गया। वेतन और पेंशन की तारीखों में दो-चार दिनों का बदलाव किया जाए तो सरकार को हर महीने 2 करोड़ की बचत हो सकती है। इस संबंध में बदलाव करने की संभावना का द्वार खोला।

संसाधन सृजन उप-समिति व्यवहारिक स्वरूप में आई

वर्तमान सरकार में पहली बार व्यवहारिक तौर पर कार्य करने वाली रिसोर्स मोबिलाइजेशन सब-कमेटी गठित की। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में रिसोर्स मोबिलाइजेशन सब-कमेटी गठित की थी। इसमें मुकेश अग्निहोत्री के अलावा कृषि मंत्री चंद्र कुमार, उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, नगर नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी सदस्य हैं। इससे पहले भी वीरभद्र सिंह सरकार के दौर में ऐसी ही कमेटी बनाई गई थी। उस कमेटी के मुखिया पहले कौल सिंह थे, लेकिन बाद में कमेटी का जिम्मा विद्या स्टोक्स को दिया गया था। पिछली जयराम सरकार के समय में इस कमेटी का जिम्मा महेंद्र सिंह ठाकुर का था और उस कार्यकाल की रिपोर्ट नहीं आई।

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