शिमला: राज्य सरकार ने 1988 बैच के आईएएस अधिकारी संजय गुप्ता को मुख्य सचिव पद का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है। प्रबोध सेक्ससेना के सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें मुख्य सचिव का कार्यभार सौंपा गया है। वे हिमाचल के 45वे मुख्य सचिव होंगे।
गुप्ता मौजूदा समय में हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड के अध्यक्ष का कार्यभार संभाल रहे थे। वह हिमाचल के सबसे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं। इस से पहले उनकी मुख्य सचिव पद को लेकर अनदेखी हुई थी। लेकिन सुक्खू सरकार ने वरिष्ठता को मध्यनजर रखते हुए उन्हें मुख्य सचिव पद का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है।
सरकार ने उन्हें नगर एवं ग्राम नियोजन एवं आवास विभाग का जिम्मा भी सौंपा है। वे इस पद से प्रधान सचिव देवेश कुमार को भारमुक्त करेंगे। सचिव कार्मिक विभाग एम सुधा देवी की ओर से इस सम्बंध में अधिसूचना जारी कर दी है। सरकार ने बीते रोज संजय गुप्ता को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अध्यक्ष लगाया था। वरिष्ठता को देखते हुए यह बदलाव किया गया है।
कार्मिक विभाग ने अतिरिक्त मुख्य सचिव जनजातीय विकास ओंकार चंद शर्मा को
रोपवे और रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आरटीडीसी)के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है। अतिरिक्त मुख्य सचिव व वित्त आयुक्त राजस्व केके पंत को दोबारा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष का जिम्मा सौंपा है। बीते रोज उनसे यह जिम्मेदारी वापिस लेकर संजय गुप्ता को सौंपी गई थी। पंत अब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष के अलावा वन, गृह और सतर्कता, वित्त आयुक्त (अपील) भी देखेंगे। संजय गुप्ता डीसी लाहुल स्पीति व एडीएम पूह, चौपाल व मंडी में एसडीएम भी रह चुके हैं। इसके अलावा विभिन्न विभागों में निदेशक, सचिव, प्रधान सचिव व अतिरिक्त मुख्य सचिव रह चुके हैं।
पहली बार मुख्य सचिव का अतिरिक्त कार्यभार
हिमाचल में पहली बार मुख्य सचिव का अतिरिक्त जिम्मा सौंपा गया है। इस से पहले इस पद पर नियमित ही नियुक्ति होती रही है। 1988 बैच के संजय गुप्ता, 31 मई, 2026 को सेवानिवृत्त होंगे। वह मूलतः, हरियाणा, के रहने वाले हैं। सिविल इंजीनियर की पढ़ाई की है। पहले वह आईआरएस थे। देश के वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों में वह शामिल हैं। मूल रुप से हरियाणा से संबंध रखने वाले संजय गुप्ता ने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। उन्होंने मैंनेजमैंट ऑफ पब्लिक रिलेशन में डिप्लोमा भी किया है। पहले पूर्व भाजपा सरकार तथा बाद में वर्तमान कांग्रेस सरकार ने वरीयता सूची में अव्वल होने के बावजूद मुख्य सचिव पद की कुर्सी नहीं सौंपी थी। प्रदेश सरकार ने पुलिस महानिदेश के पद पर भी स्थाई नियुक्ति नहीं की है। यानी इस इस समय मुख्य सचिव के अलावा डीजीपी. पद का भी अतिरिक्त दायित्व सौंपा गया है।



