देश के महानगरों में लोगों को मैट्रो के रुप में परिवहन का सस्ता साधन उपलब्ध करवाया जा रहा है। ताकि भागम-भाग जीवन में लोगों का समय ट्रैफिक जाम में बर्बाद न हो। पहाड़ों में मैट्रो चलाना संभव नहीं है और न ही उपयुक्त रहेगा। इसका कारण ये है कि मेट्रो प्रदेश की कम जनसंख्या को देखते हुए महंगा सौदा साबित होगा।
लेकिन सरकार ने राजधानी के लोगों को घंटों लगने वाले ट्रैफिक जाम से छुटकारा दिलाने के लिए रोप-वे का रोड मैप तैयार किया है। जिसके तहत शिमला को एक सिरे से दूसरे सिरे तक रोप-वे जोड़ा जाएगा। ताकि सड़कों पर वाहनों के रेंगने की समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा मिल सके। इसी तरह की व्यवस्था धर्मशाला, मंडी, हमीरपुर, कुल्लू, सोलन, बिलासपुर, चंबा में विकसित करने की योजना है।
प्रदेश के लोगों को सस्ता परिवहन साधन मिलेगा तो दूसरी ओर पर्यटकों के लिए आसमान से पहाड़ों को देखने का मौका मिलेगा।
शिमला दो दशकों से जाम से जूझ रहा
सरकार का कहना है कि रोपवे प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद शिमला को ट्रैफिक जाम से निजात मिलेगी। अगले 40 साल की चुनौतियों को देखते हुए इसका निर्माण होगा। ढाई साल में प्रोजेक्ट का पहला फेज पूरा कर 250 केबिन के साथ इसे शुरू करने की प्लानिंग सरकार कर रही है।