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राधा स्वामी सत्संग ब्यास परोर पर पर्यावरणीय उल्लंघनों का आरोप

राधा स्वामी सत्संग ब्यास (परोर), जिला कांगड़ा में हो रहे कथित अवैध निर्माण और पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन के मामले में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने बड़ा कदम उठाया है। एनजीटी की प्रधान पीठ नई दिल्ली ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। ग्राम पंचायत घनेटा की प्रधान सीमा कुमारी और स्थानीय ग्रामीणों द्वारा भेजी गई पत्र याचिका पर यह कार्रवाई की गई है। प्रधान पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और डॉ. अफरोज अहमद शामिल हैं, ने पाया कि मामले में पर्यावरणीय दृष्टि से गंभीर प्रश्न उठते हैं। याचिका में आरोप लगाया गया है कि राधा स्वामी सत्संग ब्यास परोर परिसर में बिना अनुमति के पेड़ों की कटाई की जा रही है। संरक्षित चाय बागानों और कृषि भूमि का व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा ताहल खड्डु के बाढ़ क्षेत्र में निर्माण कर प्राकृतिक जलधारा और पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि निर्माण कार्यों के चलते कूहलें और प्राकृतिक जल स्रोत अवरुद्ध हो चुके हैं। एनजीटी ने इस मामले में सचिव (पर्यावरण), उपायुक्त कांगड़ा और सदस्य सचिव, हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी कर दो माह के भीतर जवाब मांगा है। साथ ही एक संयुक्त समिति का गठन किया गया है, जिसमें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उपायुक्त कांगड़ा शामिल होंगे।

यह समिति स्थल का निरीक्षण कर याचिका में लगाए गए आरोपों की जांच करेगी और कानून के अनुसार आवश्यक कार्रवाई करते हुए दो माह में रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस समिति की नोडल एजेंसी बनाया गया है। मामले की अगली सुनवाई 18 दिसंबर को होगी।

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