हिमाचल प्रदेश में औद्योगिक कामगारों के साथ-साथ किसी भी प्रतिष्ठान में सेवाएं देने वाले कामगार तय समयाविध से अधिक ओवर टाइम कर सकेंगे। सरकार ने ओवर टाइम की अवधि को 75 घंटों से बढ़ाकर 125 घंटे करने का निर्णय लिया है। सोमवार को सचिवालय के शिखर सम्मेलन हाल में आयोजित प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय का निर्णय लिया गया। इससे राज्य के उद्योगों, निर्माण स्थलों व व्यापारिक संस्थानों के साथ-साथ दुकानों और शापिंग माल पर काम करने वाले 20 लाख कामगारों को लाभ होगा। औद्योगिक कामगारों की संख्या 5 लाख, राज्य भवन निर्माण कामगार बोर्ड में करीब 5 लाख और शेष अन्य व्यापारिक गतिविधियों में शामिल हैं। कोई भी कामगार अभी तीन महीने में 75 घंटे का ओवर टाइम करते हैं, उनको अब 125 घंटे तक ओवर टाइम की व्यवस्था होगी। सरकार के इस निर्णय से कामगारों की आमदनी बढ़ेगी, लेकिन कोई भी कामगार नई समयावधि से अधिक ओवर टाइम नहीं कर पाएगा। प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में सरकार ने ड्रोन नीति को स्वीकृति प्रदान की। इसके अतिरिक्त विभिन्न सरकारी विभागों में 200 से अधिक पदों को भरने की मंजूरी प्रदान की गई। प्रदेश सरकार के श्रम एवं रोजगार विभाग ने इसे लेकर नए नियम बना लिए हैं, जिसकी अधिसूचना तभी होगी जब भारत सरकार अपने नए एक्ट को लागू करेगी। भारत सरकार ने सभी प्रदेशों को नए श्रम कोड लागू करने को कहा है, जिसके तहत प्रत्येक राज्य सरकार अपने स्तर पर नियमों का निर्धारण करेगी। सभी राज्यों को यह काम सौंपा गया है, लेकिन हिमाचल ने इस काम को दूसरे राज्यों से पहले कर दिया है। नियम मंजूर हुए हैं, जिनको अधिसूचित केंद्र सरकार द्वारा लागू करने के बाद राज्य में लागू किया जाएगा।
कामगारों को ओवर टाइम की एवज में दो गुणा धनराशि मिलती है। सभी उद्योगों को इन नियमों का अनुसरण करना होगा। बताया जाता है कि लेबर कोड के तहत 35 कानून बनाए गए हैं, जिनको अब समाहित करके 4 कोड में समायोजित किया गया है। भारत सरकार ने 35 कानूनों की बजाय चार श्रम कोड रखे हैं और उनके तहत नियमों में संशोधन किए गए हैं। इसे हिमाचल ने भी अपना लिया है और केबिनेट ने चार लेबर कोड को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है।ये होंगे अब नए लेबर कोड
प्रदेश में लागू होने जा रहे नए लेबर कोड चार हैं जिसमें सभी कानूनों को समाहित कर दिया गया है। इनमें कोड आन वेजिज, कोड आन आक्यूपेशन से टी एंड हेल्थ, कोड आन सोशल सिक्योरिटी तथा कोड आन इंडस्ट्रीयल रिलेशन है। इनके तहत सभी उद्योगपतियों को अपने यहां कामगारों को न्याय देना होगा।कामगारों की उलझनें दूरी होेगी
कामगारों को यदि हकों के लिए कानूनी लड़ाई लड़नी होगी, तो अब उन्हें 35 कानूनों के बजाये चार कानूनों में हक मिलेगा। इससे न केवल कामगारों को लाभ मिलेगा, बल्कि वकीलों को भी राहत मिलेगी।