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योजनाओं को पूरा करने में मुख्यमंत्री-मंत्रियों-और-विधायकों की रुचि नहीं

हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है, पूरी सरकार सहित सभी विधायक भी शिमला में जनहित में चिंतन कर रहे हैं। चिंतन तो हो रहा है मगर उस दिशा में सार्थक कदम उठाए जाने में कोताही हो रही है, जिससे प्रदेश के लोगों का भला हो सके। करना ये था कि सरकार में बैठे मंत्रियों, मुख्य संसदीय सचिवों और विधायकों को केवल इतना भर बताना था कि उनके विधानसभाई क्षेत्र में तीन योजनाओं का कार्य पूरा होने वाला है।

इससे संबंधित एक पत्र सरकार के योजना विभाग को भेजना है ताकि योजना विभाग मुख्यमंत्री, सरकार के मंत्रियों, मुख्य संसदीय सचिवों व विधायकों की ओर से विधायक प्राथमिकता के तहत दी गई योजनाओं को पूरा करवाने की दिशा में कदम उठा सके। राज्य योजना विभाग की ओर से मुख्यमंत्री से लेकर विधायक को इस आशय का पत्र एक पखबाड़ा पहले भेजा गया था, हैरानी की बात ये है कि अभी तक किसी की ओर से पूर्ण हो रही तीन योजनाओं के संबंध में जानकारी देने में रूचि नहीं दिखाई गई है। ऐसे में जनहित में विकास का लाभ धरातल पर किस तरह से उतरेगा। ये योजनाएं वे हैं, जिनमें बहुत कम कार्य शेष रह गया है।

शिमला में मौजूद हैं सभी

इन दिनों सत्र के दौरान सत्ता व विपक्षी सदस्य शिमला में मौजूद हैं। मुख्यमंत्री, मंत्रियों व मुख्य संसदीय सचिवों की व्यस्तताओं को देखते हुए उनके विधानसभाई क्षेत्रों की जिम्मेदारी स्टाफ की रहती है। लेकिन स्टाफ की उदासीनता भी उजागर होती है। विपक्षी भाजपा सदस्य भी हंगामा करने तक सीमित हैं, उनकी ओर से भी पत्र का उत्तर नहीं भेजा गया है।

उपचुनाव जीतकर आए भी विधायक

उपचुनाव जीतकर आए विधायकों में विवेक शर्मा, अनुराधा राणा, राकेश कालिया, कैप्टन रणजीत सिंह राणा, कमलेश ठाकुर, हरदीप सिंह बावा ने अभी तक विधायक प्राथमिकताएं नहीं भेजी हैं। कमलेश कुमारी व हरदीप सिंह बावा का तो माना जा सकता है कि अभी एक माह पहले जीतकर आए हैं। लेकिन विवेक शर्मा, अनुराधा राणा, राकेश कालिया व कैप्टन रणजीत सिंह राणा तो चार जून को चुनकर आए थे और तीनों को तीन माह से अधिक का समय हो चुका है। सुधीर शर्मा व इंद्रदत्त लखनपाल को छोड़ दें तो चार विधानसभा क्षेत्रों सुजानपुर, लाहुल-स्पीति, कुटलैहड़, गगरेट के विधायकों को जीतकर आए हुए तीन माह से अधिक का समय हो चुका है। इनकी ओर से अभी तक प्राथमिकताएं नहीं दी गई हैं।

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