मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश में मानसून से हुई तबाही को अभूतपूर्व त्रासदी बताया। उनका कहना था कि इससे पहले कभी इस तरह की आपदा का सामना नहीं हुआ था। इस आपदा का आकार भुज भूकंप 2001, केदार नाथ आपदा 2013 और जोशीमठ में भूमि धंसाव 2022 के समान है।
सदन में प्रस्ताव पेश करते हुए उन्होंने 14 बिंदुओं को रखते हुए कहा कि हम केंद्र सरकार से भुज भूकंप, केदार नाथ आपदा और जोशीमठ में भूमि धंसाव से पैदा हुई त्रासदी के दृष्टिगत विशेष राहत पैकेज की भांति ही उदार वित्तीय सहायता की आशा करते हैं। उन्होंने कहा कि 18 अगस्त को एक अधिसूचना जारी कर पूरे प्रदेश को आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित कर दिया था।
उन्होंने कहा कि प्रदेश को पुनर्निर्माण के लिए विशेष राहत पैकेज की तुंरत जरूरत है। ताकि आपदा प्रभावित व्यक्तियों को उनके घरों और आजीविका को फिर से बनाने में मदद मिल सके। इस त्रासदी ने कई गांवों को नष्ट कर दिया और गांव रहने योग्य नहीं रहे। एक अनुमान के तहत करीब 200 से अधिक गांव जमीन धंसने से प्रभावित हुए हैं। जिसके कारण पहली बार इतनी बड़ी संख्या में लोगों को राहत शिविरों में रहना पड़ा है।