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घर-घर नल लगने से महिलाओं को नदी, नालों, कुंओं व बावडियों से पानी लाने की समस्या से मिला छुटकारा

घर-घर नल लगने से महिलाओं को नदी, नालों, कुंओं व बावडियों से पानी उठाकर लाने की समस्या से छुटकारा मिला। अब घर की रसोई से लेकर बाथरूम में नल खोलने की जरूरत है, पानी की धार बहने लगती है। प्रदेश के सभी घरों में नल से जल उपलब्ध हो रहा है। 2019 में जल जीवन मिशन आने के बाद 17.08 लाख नल लगने से हिमाचल देश का सबसे अग्रणी राज्य बना। वर्ष 2014 से पहले प्रदेश में 3.62 लाख नल लगे थे। पहली अप्रैल 2023 तक जल शक्ति विभाग ने 1708727 भवन मालिक चिंहित किए थे और सभी घरों को नल से जल उपलब्ध करवाया जा चुका है। प्रदेश में चुनाव प्रचार अंतिम दौर में पहुंच चुका है और प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा की ओर से प्रचार को ऐसा रंग दिया जा रहा है कि मतदाताओं को अपनी ओर लुभा सकें। ये कटु सत्य है कि प्रदेश में विकास की गाथा पीएम मोदी सरकार की योजनाओं की ओर से लिखी गई है, राज्य के विकास में पिछली यूपीए सरकार का भी आरंभिक योगदान रहा है।

सुकन्या स्मृद्धि योजना

सुकन्य स्मृद्धि योजना में पांच लाख से अधिक बालिकाओं तक लाभ पहुंचा है। प्रधानमंत्री ने 22 जनवरी 2015 को हरियाणा के पानीपत में ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का शुभारंभ करते हुए सुकन्या समृद्धि खाता की घोषणा की थी। तब से लेकर हिमाचल में 504138 बालिकाओं को लाभ मिल चुका है।

डीबीटी से खातों में पैसा पहुंचा

डीबीटी यानि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण प्रणाली के तहत 81.77 करोड़ लाभार्थियों के बैंक खातों में 2258.89 करोड़ आए। केंद्र सरकार ने पहले कार्यकाल में डीबीटी योजना शुरू की, जिसका परिणाम बहुत लाभकारी सिद्ध हुआ। लोगों की परेशानियों का समाधान हो गया। सरकारी कार्यालयों में भटकने की जरूरत नहीं रही।

पोषण शक्ति निर्माण

केंद्र सरकार की ये योजना 15 अगस्त 1995 को प्राथमिक शिक्षा के लिए पोषण संबंधी सहायता का राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपी-एनएसपीई) शुरू हुई थी। इस योजना का उद्देश्य प्राथमिक विद्यालय के बच्चों की पोषण स्थिति में सुधार करके प्राथमिक शिक्षा की प्रभावशीलता में सुधार करने में मदद करना था। प्रदेश में इस योजना के तहत 317546 बच्चों को पोषण की सुविधा पहुंची। वर्तमान सरकार ने इस योजना को गति प्रदान की और लाभार्थियों की संख्या को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया।

जल जीवन मिशन के तहत राज्य में स्थिति

जल जीवन मिशन 2019 में प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति को सुचारू बनाने के लिए शुरू किया गया था। जल शक्ति विभाग ने अब तक कुल 1708727 नल लगाए हैं। 2014 से पहले नलों की संख्या 3.62 लाख थी।

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