त्याग पत्र दे चुके तीनों निर्दलीय विधायक चाहते हैं, अध्यक्ष त्याग पत्रों को तत्काल स्वीकार करें, याचिका वापस लेंगे

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– पहले विधानसभा अध्यक्ष की न्यायिक अदालत और उच्च न्यायालय में दायर याचिका पर निर्णय आने के बाद आगे कार्रवाई संभव होगी

– 35 पन्नों के लिखित उत्तर में निर्दलीय विधायकों ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के निर्णय संलग्न किए थे

– सबसे पहले केएल ठाकुर, आशीष शर्मा और अंत में होशियार सिंह ने अध्यक्ष के समक्ष पेश होकर प्रश्नों के उत्तर दिए

विधानसभा की सदस्यता से त्याग पत्र दे चुके तीनों निर्दलीय विधायक चाहते हैं कि अध्यक्ष उनके त्याग पत्रों को तत्काल स्वीकार करें, जैसा कि कांग्रेस के छह बागी विधायकों के मामले में किया गया था। तीनों निर्दलीय विधायकों ने एक स्वर में कहा कि इधर उनके त्याग पत्र स्वीकार होते हैं, उधर उच्च न्यायालय में दायर याचिका वापस लेंगे। आज हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया के स्तर पर अभी 3 निर्दलीय विधायकों होशियार सिंह, केएल ठाकुर एवं आशीष शर्मा के सदस्यता संबंधी त्याग पत्र पर निर्णय नहीं हो पाया है। अब त्याग पत्र मामले में पहले विधानसभा अध्यक्ष की न्यायिक अदालत और उच्च न्यायालय में दायर याचिका पर निर्णय आने के बाद आगे कार्रवाई संभव होगी। तीनों निर्दलीय विधायक अध्यक्ष की तरफ से मिले नोटिस का जवाब देने के लिए बुधवार को विधानसभा सचिवालय पहुंचे थे। इस दौरान 2 बार उनके पक्ष को मौखिक एवं लिखित रुप से सुना गया। विधानसभा सचिवालय की तरफ से निर्धारित समय के अनुसार पहली बार निर्दलीय विधायक दोपहर 12.15 बजे अध्यक्ष से मिलने के लिए कमेटी रुम में उपस्थित हुए। उन्होंने इस दौरान दिए गए त्याग पत्र अविलंब स्वीकार करने की मांग की। उन्होंने 35 पन्नों के लिखित उत्तर में यह भी कहा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय के निर्णय का हवाला दिया। इसी तरह से लिखित उत्तर में कई दूसरे उच्च न्यायालयों के निर्णयों का भी उल्लेख किया। त्याग पत्र दे चुके तीनों निर्दलीय विधायकों ने कहा है कि उनके ऊपर किसी तह का कोई दबाव नहीं है। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सभी विधायकों को लिखित तौर पर जवाब देने के लिए दोपहर 2.30 बजे का समय दिया। कुल मिलाकर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने अपनी कार्यवाही के दौरान तीनों से त्याग पत्र से जुड़े विषय को लेकर प्रश्न पूछे। इन प्रश्नों का उत्तर जानने के बाद अध्यक्ष ने इसके ऊपर किसी तरह की टिप्पणी नहीं की।

त्याग पत्र का घटनाक्रम

3 निर्दलीय विधायकों ने गत 22 मार्च को विधानसभा की सदस्यता से त्याग पत्र दिया था। इसके बाद गत 23 मार्च यानि त्याग पत्र देने के अगले दिन भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। तीनों निर्दलीय विधायक अपना पक्ष रखने के लिए राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल से भी मिले थे। जिसके बाद उनके त्याग पत्रों की प्रति को 2 राज्यों मध्यप्रदेश व कर्नाटक उच्च न्यायालय के निर्णय का हवाला देते हुए विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया को भेजा गया था। इसी दौरान विधानसभा अध्यक्ष पठानिया को प्रदेश सरकार के संसदीय कार्यमंत्री हर्षवर्धन चौहान, राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी व विधायक अजय सोलंकी सहित कई अन्य विधायकों ने मिलकर एक पत्र सौंपा, जिसमें निर्दलीय विधायकों पर दबाव में आकर त्याग पत्र देने का आरोप लगाया। इस बीच विधानसभा अध्यक्ष ने जहां राज्यपाल की तरफ से भेजे गए पत्रों का जवाब दिया, वहीं, निर्दलीय विधायकों का पक्ष जानने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था। अध्यक्ष से मिलने से पहले निर्दलीय विधायक त्याग पत्र स्वीकार करने के लिए ग30 मार्च को विधानसभा परिसर में धरने पर भी बैठे तथा अब उनकी तरफ से उच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया गया है, जिस पर 24 अप्रैल को सुनवाई होनी है।

होशियार सिंह

निर्दलीय विधायक होशियार सिंह ने कहा कि उन्होंने बिना राजनीतिक दबाव के अपने त्याग पत्र दिए हैं। ऐसे में उनके त्याग पत्र जल्द स्वीकार किए जाने चाहिए, ताकि लोकसभा एवं विधानसभा के 6 अन्य उपचुनावों के साथ उनके विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव की प्रक्रिया को एक साथ में पूरा किया जा सके। ऐसा करना सबके हित में है, ताकि प्रदेश को बार-बार चुनाव प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़े। उनका कहना था कि कांग्रेस के छह बागियों को तुरंत प्रभाव से निष्कासित किया गया था। हम त्याग पत्र दे रहे हैं और स्वीकार करने में इतने दिन लगा दिए।

केएल ठाकुर

निर्दलीय विधायक केएल ठाकुर का कहना था कि विधानसभा अध्यक्ष यदि जल्द उनके त्याग पत्र स्वीकार करते हैं, तो वह उच्च न्यायालय में दायर याचिका को वापस ले लेंगे। हमें त्याग पत्र स्वीकार नहीं होने पर मजबूरन उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा है।

आशीष शर्मा

निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा ने तर्क दिया कि विधानसभा उनचुनाव के साथ उनके विधानसभा क्षेत्रों में भी चुनाव करवाए जा सकते हैं। लेकिन इससे पहले आवश्यक है कि विधानसभा अध्यक्ष हमारे त्याग पत्र स्वीकार करें। अध्यक्ष हमारे जवाब से संतुष्ट नजर आए हैं और हमें उनका निर्णय मंजूर होगा। आशा करता हूं कि जल्द ही हमारे त्याग पत्र स्वीकार कर लिया जाएंगे। हमने गत 22 मार्च को त्याग पत्र देने के बाद 23 मार्च को भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है।

कुलदीप सिंह पठानिया

विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि तीनों निर्दलीय विधायकों ने मेरे अधिकारों को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। अब यह मामला उच्च न्यायालय पहुंच गया, जिस पर अगली सुनवाई 24 अप्रैल को होगी। ऐसे में अब उच्च न्यायालय के निर्णय का इंतजार करना होगा, क्योंकि अब समांतार सुनवाई शुरू हो गई है, एक विधानसभा में न्यायिक शक्तियों के तहत और दूसरी उच्च न्यायालय में। इस कारण मैं त्याग पत्र संबंधी सुनवाई को समाप्त नहीं कर सकता। निर्दलीय विधायकों के त्याग पत्र, क्या संवैधानिक तौर पर उचित है या नहीं, मैं इस पर बोलना नहीं चाहता। मेरे अधिकार संबंधी जवाब उच्च न्यायालय को दिया जाएगा। संवैधानिक मर्यादाओं के अनुसार मुझे निर्दलीय विधायकों के त्याग पत्र से जुड़े तथ्यों की जांच करना जरूरी है।

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