मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आज 9/08/2021 को हिमाचल प्रदेश राज्य की पुस्तिका ‘एकमुश्त निपटान नीति’ का विमोचन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक 15 मार्च 1954 को अपनी स्थापना के बाद से आज 15950 करोड़ रुपये की कार्यशील पूंजी, 12325 करोड़ रुपये की जमा राशि और 7081 करोड़ रुपये के ऋण के साथ राज्य के अग्रणी बैंक के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि बैंक राज्य भर में अपनी 218 शाखाओं और 23 विस्तार काउंटरों के माध्यम से बैंकिंग सेवाएं प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि ‘एकमुश्त निपटान नीति’ में ऋण के लगभग 181 मामलों के निपटान की परिकल्पना की गई है, जिससे इस संबंध में 26.14 करोड़ रुपये की वसूली की जा सकेगी।
जयराम ठाकुर ने कहा कि लोक अदालत के माध्यम से बैंक बकाया का निपटान बैंक की गैर निष्पादित संपत्ति को कम करने और वैकल्पिक विवाद निवारण अशोध्य ऋणों की वसूली सुनिश्चित करना और उन सभी पात्र उधारकर्ताओं को राहत प्रदान करना जो ऋण चुकाने में समस्या का सामना कर रहे हैं उनके लिए एक तंत्र प्रदान करने के उद्देश्य से है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत मामलों के कवरेज के लिए राशि की सीमा 20 लाख रुपये तक निर्धारित की गई है। उन्होंने कहा कि बैंक का लक्ष्य करीब 2000 कर्ज के मामलों को सुलझाकर करीब 30 करोड़ रुपये की वसूली करना है।

शहरी विकास एवं सहकारिता मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे लोकप्रिय बैंकों में से एक है। उन्होंने कहा कि 15.56 लाख से अधिक ग्राहक आधार वाले बैंक को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अनुसूचित बैंक का दर्जा प्रदान किया गया है।
अध्यक्ष, हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक खुशी राम बलनाहटा ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया और बैंक की एकमुश्त निपटान नीति की विस्तृत मुख्य विशेषताएं बताई।
बैंक के प्रबंध निदेशक श्रवण मंता ने भी बैंक की गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताया।