राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि किसी भी संस्थान की असली पहचान न तो उसका भवन होता है और न ही दीवारें, बल्कि उसकी वास्तविक पहचान सदैव उसकी कार्यशैली और उपलब्धियों से प्रदर्शित होती है।
भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (आईआईएएस), शिमला ने शैक्षणिक और शोध उपलब्धियों से अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। संस्थान अकादमिक और बौद्धिक उत्कृष्टता का प्रतीक रहा है। राज्यपाल आज यहां ऐतिहासिक भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला के शोधार्थियों (अध्येताओं एवं सह-अध्येताओं) को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय महत्व का यह संस्थान पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के भारत में ज्ञान और शोध की प्राचीन परंपरा को पुनर्स्थापित करने के स्वपन को साकार कर रहा है।