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चीन पर निर्भरता कम करनी होगी, भारत दलाई लामा को वापस जाने के लिए नहीं कहेगा: एस जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि विकसित भारत के लिए चीन पर निर्भरता कम करनी होगी और निर्माण क्षेत्र पर ज्यादा ध्यान देना होगा। भाजपा द्वारा शिमला में आयोजित विकसित भारत 2047 बुद्धिजीवी संवाद कार्यक्रम के तहत पत्रकारों के साथ बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत अलग-अलग समय में निर्माण के क्षेत्र में चीन से पीछे रहा है। यही नहीं चीन में भारत से 10 वर्ष पहले आर्थिक सुधार शुरू हो गए थे। उन्होंने कहा कि इसका जवाब रोने धोने से नहीं बल्कि चीन पर निर्भरता कम करने से है और इसके लिए मोदी सरकार की नियत भी है और नीति भी।

भारत के पड़ोसियों के चीन की तुलना में भारत से अधिक अच्छे रिश्ते हैं। उन्होंने कहा कि जब तक हम आय के गुणात्मक संसाधनों को नहीं बढ़ाएंगे तब तक आगे नहीं बढ़ सकते। विदेश मंत्री ने कहा कि बीते 10 सालों में भारत ने अलग-अलग क्षेत्र में तेजी से तरक्की की है। मोदी सरकार चौमुखी विकास की पक्षधर है। एस जयशंकर ने कहा कि सरकारी क्षेत्र में रोजगार की एक सीमा है और हमें कृषि सहित अन्य क्षेत्रों में रोजगार को बढ़ावा देना होगा तथा राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना होगा। तभी भारत को विकसित देश बनाने का सपना पूरा हो सकता है।

सीमा पर चीन द्वारा नया आधारभूत ढांचा खड़ा करने को लेकर विदेश मंत्री ने कहा कि चीन 1962 के आक्रमण में अथवा इससे पहले हथियाई गई जमीन पर यह ढांचा खड़ा कर रहा है। उन्होंने कहा कि चीन ने वर्ष 2020 के बाद अथवा केंद्र में एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद भारत की किसी भी जमीन पर कोई कब्जा नहीं किया है। उन्होंने माना कि चीन सीमा पर स्थिति जटिल है। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत ने चीन सीमा पर वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के लिए व्यापक कदम उठाए हैं। इसके तहत सीमा पर सड़कें, पुल, सुरंगे और अन्य आधारभूत ढांचा विकसित किया गया है। इससे सीमावर्ती गांवों से जहां लोगों का पलायन रुका है वहीं इन क्षेत्रों में पर्यटन भी बढ़ा है।

साथ ही सीमा पर पहरा देने वाले सैनिकों के लिए सुविधाएं भी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के समय चीन सीमा पर आधारभूत ढांचे को विकसित करने को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया क्योंकि पूर्व सरकार का मानना था कि यहां आधारभूत ढांचा विकसित होने से दुश्मन आसानी से भारत की सीमा में घुसपैठ कर सकेंगे लेकिन मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद इस सोच को बदला है। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के समय तक चीन सीमा के लिए देश का बजट महज 3500 करोड रुपए था लेकिन एनडीए सरकार के समय में यह बजट बढ़कर 15000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है।
चीन के साथ तनाव के मुद्दे पर विदेश मंत्री ने कहा कि दलाई लामा 1962 के चीन के अग्रेशन के बाद खुद भारत आए हैं। हमने उनका स्वागत किया और चीन को भी इस बारे में साफ-साफ बता दिया था। उन्होंने कहा कि भारत दलाई लामा को कभी भी वापस जाने के लिए नहीं कहेगा। एस जयशंकर ने यह भी कहा कि दलाई लामा में देशवासियों की अथाह आस्था है और हम उसका आदर करते हैं।

पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ रिश्तों के सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा कि हमने पाकिस्तान को दिखा दिया है कि अगर वह आतंकवाद को पालता रहेगा तो उसे इसकी कीमत भी चुकानी होगी। उन्होंने कहा कि यदि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देगा तो भारत एलओसी क्रास करेगा और क्रास बार्डर जवाब भी देगा। उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद होता है तो भारत की ओर से इसकी प्रतिक्रिया होगी, यह तय है। विदेश मंत्री ने एक सवाल पर कहा कि मोदी सरकार का वादा है कि पाकिस्तान कब्जे वाले कश्मीर भारत को वापस लेना है और हम इस वादे पर कायम है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर संसद में बाकायदा प्रस्ताव पारित हुआ है जिसमें पूरा विपक्ष भी शामिल था। लेकिन आज विपक्ष को अपना ही फैसला याद नहीं है और पीओके के मुद्दे पर अपने ही देश की आलोचना कर विपक्ष दुनिया भर में भारत की स्थिति कमजोर करने में लगा है।

रूस यूक्रेन-युद्ध और इजरायल-फिलिस्तीन

युद्ध के मुद्दे पर एस जयशंकर ने कहा कि इन युद्धों के बाद भारत की भूमिका और महत्वपूर्ण हो गई है। उन्होंने माना कि आज दुनिया अत्यधिक तनाव की स्थिति में है। वर्ष 2022 तक रूस-यूक्रेन युद्ध आरंभ होने से पहले दुनिया की सोच थी कि युद्ध जल्द खत्म होगा। मगर इसे चले हुए आज 3 वर्ष हो गए और अब दुनिया के कई और देशों में युद्ध की स्थिति बनी है। इससे दुनिया भर में तनाव बढ़ रहा है।

चीन भारत की स्थाई सदस्यता का पक्षधर नहीं

संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की स्थाई सदस्यता के मुद्दे पर विदेश मंत्री ने कहा कि भारत इस मुद्दे पर काफी आगे बढ़ा है और अब बात भारत को स्थाई सदस्यता देने तक पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि चीन इस मुद्दे पर भारत के पक्ष में नहीं है और भारत को स्थाई सदस्यता देने में हमेशा ही रोड़े अटकाता रहा है। उन्होंने दावा किया कि विकासशील देश चाहते हैं कि भारत को संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थाई सदस्यता मिले और वह चीन के पीछे भागने के बजाय भारत से नजदीकी बनाने के पक्षधर हैं।

अग्निवीर योजना पर इंडिया गठबंधन भ्रम फैला रहा

विदेश मंत्री ने केंद्र सरकार की अग्निवीर योजना को सही करार दिया और इसे सफल योजना करार दिया। उन्होंने कहा कि यह योजना इसलिए लाई गई है ताकि देश की सेना में नौजवान युवाओं की भूमिका बढ़े। उन्होंने इस मुद्दे पर विपक्ष पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया। इस योजना में सफल होने वाले सेना में सेवारत होंगे और अन्य अग्निवीर विभिन्न क्षेत्रों में सुरक्षा की जरूरतों को पूरा करेंगे।

शुल्क बढ़ाने का मुद्दा पूर्व यूपीए सरकार का

सेब पर शुल्क बढ़ाने के मुद्दे पर विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका के साथ सेब पर आयात शुल्क बढ़ाया गया था उन्होंने कहा कि शुल्क बढ़ाने का मुद्दा पूर्व यूपीए सरकार के समय तय हो गया था। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार आयात शुल्क बढ़ाने को लेकर समीक्षा कर रही है और अगर किसी गलत रूट से सेब भारत आ रहा है तो केंद्र सरकार इसे बंद करेगी। उन्होंने कहा कि इस तरह की किसी भी अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस पर रोक लगाई जाएगी।

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