भाजपा और अयोग्य घोषित विधायकों के मध्य कड़ी बने एक सूत्र का दावा
अयोग्य घोषित कांग्रेस के छह और तीन निर्दलीय विधायकों को चंडीगढ़ से ऋषिकेश भेजने से राजनीतिक वातावरण गर्मा गया है। हिमाचल प्रदेश में जारी राजनीतिक उठापटक की परिणति बड़े धमाके में हो सकती है। भाजपा और अयोग्य घोषित विधायकों के मध्य अहम कड़ी बने एक सूत्र का दावा है कि सरकार बहुमत खो चुकी है और उसके पास अध्यक्ष को अलग रखने पर 33 की संख्या है जबकि भाजपा के पास 34 की संख्या है। समझा जा रहा है कि चंडीगढ़, चूंकि शिमला से नजदीक है, इसलिए विधायकों को कड़ी सुरक्षा के बीच उत्तराखंड ले जाया गया है। उधर, अयोग्य घोषित एक विधायक सुधीर शर्मा ने कहा है कि किसी विधायक का अपहरण नहीं किया गया है।
वे राष्ट्रहित में अपने मत पर कायम हैं। अयोग्य विधायकों की याचिका सुप्रीम कोर्ट में सोमवार के बाद कभी भी सुनी जा सकती है। उधर, विशेषाधिकार समिति भी भाजपा के सात विधायकों पर कार्रवाई की ताक में है। 13 मार्च को ही उच्च न्यायालय में भाजपा की उस याचिका पर भी सुनवाई होनी है जिसमें कांग्रेस सरकार द्वारा छह विधायकों को मुख्य संसदीय सचिव बनाने को चुनौती दी गई है।