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उच्च न्यायालय ने आरएसएस से जुड़े स्थानांतरण पर रोक लगाई, प्रथम दृष्टया आदेशों को असंवैधानिक माना

प्रदेश हाईकोर्ट ने आरएसएस का सदस्य होने के आरोप पर किए गए तबादला आदेशों पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश एम एस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान पाया कि प्रार्थी सुरेश कुमार जसवाल का तबादला केवल इसलिए किया गया कि वह आरएसएस का सदस्य है। कोर्ट ने इसे प्रथम दृष्टया मनमाना, गैरकानूनी और संविधान द्वारा दिए गए समानता के अधिकार का उल्लंघन बताया।

मामले के अनुसार एचपी स्टेट को ऑपरेटिव बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर ने बैंक के बिलासपुर जिला कार्यालय में तैनात सीनियर मैनेजर सुरेश कुमार जसवाल का तबादला आदेश जारी किए थे। इन आदेशों को प्रार्थी ने हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी।

हाईकोर्ट की एकल पीठ ने प्रार्थी की याचिका को गुणवता के आधार पर खारिज कर दिया था। एकल पीठ का यह भी कहना था कि प्रार्थी का तबादला आदेश बैंक के सेवा नियमों के तहत जारी किए गए हैं और बैंक के सेवा नियमों को कोई कानूनी बल प्राप्त नहीं है।एकल पीठ का कहना था कि मैनेजिंग डायरेक्टर एचपी स्टेट को ऑपरेटिव अधिनियम अथवा इसके तहत बनाए नियमों का उल्लंघन नहीं किया है इसलिए याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। इन आदेशों को प्रार्थी ने अपील के माध्यम से खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी है। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने प्रथम दृष्टया बैंक को संविधान के तहत राज्य की परिभाषा में पाते हुए याचिका को सुनवाई योग्य पाया और प्रार्थी के तबादला आदेशों पर रोक लगा दी।

 

 

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