Site icon Satluj Times

ग्रीनिंग आफ एमएसएमइज से आत्मनिर्भर, प्रतिस्पर्धी बनने में लाभ प्राप्त होगा: तिलकराज शर्मा

2500 से अधिक उद्यमों को ऊर्जा दक्षता, अपशिष्ट प्रबंधन और हरित वित्तपोषण पर विशेष प्रशिक्षण की योजना

ग्रीनिंग आफ एमएसएमइज से आत्मनिर्भर, प्रतिस्पर्धी बनने में लाभ प्राप्त होगा: तिलकराज शर्मा

उद्योग विभाग के अतिरिक्त निदेशक तिलकराज शर्मा ने कहा कि ‘ग्रीनिंग आफ एमएसएमइज’केवल पर्यावरणीय पहल नहीं, बल्कि यह औद्योगिक मानसिकता में सकारात्मक बदलाव का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि इससे न केवल पर्यावरण को संरक्षण मिलेगा। बल्कि एमएसएमइ इकाइयां अधिक आत्मनिर्भर, प्रतिस्पर्धी और लाभकारी बनेंगी। उन्होंने कहा कि कि आने वाले समय में राज्य के 2500 से अधिक उद्यमों को ऊर्जा दक्षता, अपशिष्ट प्रबंधन और हरित वित्तपोषण जैसे विषयों पर विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह पहल हिमाचल प्रदेश सरकार की 2026 तक राज्य को ‘ग्रीन एनर्जी स्टेट’ बनाने की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है और भारत सरकार के वर्ष 2070 तक नेट जीरो लक्ष्य को साकार करने में राज्य के योगदान को दर्शाती है। यह कार्यशाला न केवल ज्ञानवर्धक रही, बल्कि इसमें भाग लेने वाले उद्यमियों को अपनी इकाइयों के लिए व्यावहारिक समाधान और वित्तीय संसाधनों की दिशा में मार्गदर्शन भी प्राप्त हुआ।

पर्यावरण अनुकूल औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने और एमएसएमई इकाइयों को टिकाऊ एवं संसाधन दक्ष बनाने की दिशा में ‘ग्रीनिंग आफ एमएसएमइज’ योजना के अंतर्गत सोलन में एक स्टेकहोल्डर कंसल्टेशन कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में सोलन जिला के बद्दी, नालागढ़ जैसे औद्योगिक क्षेत्रों के उद्यमियों और उद्योग प्रतिनिधियों ने भाग लेकर सक्रिय सहभागिता निभाई। इस कार्यशाला का आयोजन फ्रास्ट एंड सुलिवन एवं टिंज कंसल्टेंसी द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। जिसमें प्रतिभागियों को ऊर्जा संरक्षण, अपशिष्ट प्रबंधन, हरित वित्तपोषण, जल संरक्षण एवं पुनर्चक्रण, तथा रिसोर्स एफिशिएंसी जैसे विषयों पर विस्तार से जानकारी दी गई। विशेषज्ञों ने ‘रिसोर्स एफिशिएंट क्लीनर प्रोडक्शन (RECP)’ की अवधारणा को रेखांकित करते हुए बताया कि किस प्रकार एमएसएमई इकाइयां कम संसाधनों के साथ अधिक उत्पादन कर सकती हैं औरसाथ ही पर्यावरणीय दायित्व भी निभा सकती हैं।

‘ग्रीनिंग आफ एमएसएमइज’ योजना भारत सरकार के RAMP (Raising and Accelerating MSME Performance) कार्यक्रम के तहत चलाई जा रही है, जिसे विश्व बैंक का सहयोग प्राप्त है। इसका उद्देश्य देश के एमएसएमई सेक्टर को तकनीकी और वित्तीय रूप से सशक्त बनाकर उन्हें अधिक प्रतिस्पर्धी एवं पर्यावरण हितैषी बनाना है। इस परियोजना के तहत राज्य में लगभग 1900 एमएसएमइ इकाइयों को ग्रीनिंग प्रक्रिया से जोड़ा जाएगा। कार्यशाला में प्रतिभागियों को, नेट जीरो, ईसजी, सर्कुलर इकोनॉमी, डिकार्बनाइजेशन जैसे आधुनिक औद्योगिक अवधारणाओं से भी अवगत कराया गया। इसके अतिरिक्त, ग्रीन फाइनेंसिंग हेतु उपलब्ध योजनाओं, तकनीकी समाधान प्रदाताओं से संपर्क और डिजिटल पोर्टल के माध्यम से रियल टाइम निगरानी व्यवस्था पर भी जानकारी साझा की गई।

Exit mobile version