प्रदेश सरकार के कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग से संशोधित वेतनमान विधानसभा के चुनावी वर्ष में मिला था। ये वेतनमान कर्मचारी वर्ग को नियमानुसार वर्ष 2016 में मिल जाना चाहिए था। लेकिन तबकी सरकार ने नहीं दिया और नया वेतनमान पूर्व भाजपा सरकार को देना पड़ा। सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाले वित्तीय लाभ के तहत तीन तरह के भत्ते भी मिलते हैं। स्थिति ये है कि सरकार का समूचा कर्मचारी वर्ग पिछले अटठारह वर्षों से संशोधित भत्ते मिलने की आस लगाए हुए हैं। ये तीनों भत्ते सरकार के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से लेकर मुख्य सचिव तक को प्राप्त होते हैं।
अभी तो चुनावी मौसम है और कर्मचारी वर्ग अपने वित्तीय लाभों के संबंध में कुछ बोलने की हिम्मत जुटा रहा है, जबकि सामान्य दिनों में कर्मचारी हक के लिए बोलने से कतराता है। राजधानी भत्ता सहित प्रदेश सरकार के कर्मचारियों को कुल तीन तरह के भत्ते मिलते हैं। जिसमें आवास भत्ता, यात्रा भत्ता शामिल हैं। इस तरह के सभी भत्ते वर्ष 2016 में संशोधित हो जाने चाहिए थे, लेकिन सत्तारूढ़ राजनीतिक दल की इच्छा शक्ति न होने के कारण सिरे नहीं चढ़ पाए। भत्ते संशोधित नहीं होने के कारण प्रत्येक कर्मचारी को अनुमान के अनुसार अब तक पांच लाख से लेकर बीस लाख का नुकसान हो रहा है। भत्तों मामले में प्रविधान है कि जिस दिन संशोधित होंगे, उसी दिन से आगे के लिए मिलेंगे। भत्तों का बकाया एरियर भुगतान करने की कोई निश्चित व्यवस्था नहीं है। यदि कर्मचारियों को मिलने वाले आवास भत्ते की बात की जाए तो दो हजार रुपये में राज्य के किसी भी हिस्से में एक कमरे का मकान किराए पर नहीं मिलता।
सुक्खू सरकार कर्मचारियों के साथ है और इसका प्रमाण सत्ता में आने के बाद कांग्रेस की ओर से पुरानी पेंशन बहाल करने की गारंटी को लागू किया गया। 1.15 लाख कर्मचारियों के कर्मचारी भविष्य निधि खाते हुए और एनपीएस से ओपीएस में आए पांच हजार कर्मचारियों को सेवानिवृत होने पर पेंशन की सुविधा शुरू हुई है। इसलिए मुख्यमंत्री सुक्खू पर प्रदेश के समस्त कर्मचारी को विश्वास है और आने वाले समय में भत्तों को संशोधित कर भुगतान किया जाएगा। वीरभद्र सरकार ने अंतिम बार भत्ते संशोधित किए थे, उसके बाद भाजपा की दो सरकारें आकर चली गई, लेकिन इस बारे में विचार नहीं किया गया। ये कार्य इसलिए लटक गया, क्योंकि भाजपा सत्ता में रहते हुए राज्य को आर्थिक तौर पर 80 हजार करोड़ के बोझ तले दबाकर गई है।