– शिमला के गुड़िया दुष्कर्म व हत्या मामले के संदिग्ध आरोपित की पुलिस हिरासत में हत्या के थे आरोप
– सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चंडीगढ़ सीबीआइ कोर्ट में चल रहा था मुकदमा
– सभी दोषियों को कोर्ट के आदेश पर लिया हिरासत में
शिमला के पास कोटखाई गांव में आठ साल पहले एक नेपाली युवक की पुलिस हिरासत में हुई हत्या के मामले में चंडीगढ़ सीबीआइ की विशेष अदालत ने आठ पुलिसकर्मियों को दोषी करार दे दिया है। दोषियों में शिमला के तत्कालीन आइजी जहूर हैदर जैदी भी शामिल हैं। अन्य दोषियों में ठियोग के तत्कालीन डीएसपी मनोज जोशी, कोटखाई के पूर्व एसएचओ राजिंदर सिंह, एएसआई दीप चंद, हेड कांस्टेबल सूरत सिंह, मोहन लाल, रफिक अली और कांस्टेबल रंजीत सिंह शामिल हैं। इस सभी को 27 जनवरी को सजा सुनाई जाएगी। वहीं, इस मामले में कोर्ट ने एसपी डीडब्ल्यू नेगी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। इन सभी पर सूरज नाम के संदिग्ध आरोपित को लाकअप में बुरी तरह पीटने के आरोप थे। सूरज को पुलिस ने कोटखाई में एक नाबालिग बच्ची के दुष्कर्म व हत्या के आरोप में हिरासत में लिया था, लेकिन वहां उसकी मौत हो गई थी।
शनिवार को कोर्ट का फैसला आते ही सीबीआइ ने सभी दोषियों को हिरासत में ले लिया और जेल भिजवा दिया। सभी दोषी लंबे समय से जमानत पर थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस मामले का मुकदमा चंडीगढ़ कोर्ट में चल रहा था।
ये था मामला
शिमला के कोटखाई के एक स्कूल की छात्रा 4 जुलाई 2017 को लापता हो गई थी। दो दिन बाद जंगल से उसकी लाश बरामद हुई थी। पुलिस ने स्थानीय युवक समेत पांच मजदूरों को गिरफ्तार किया। इनमें सूरज नाम का एक नेपाली भी था। कोटखाई थाने में 18 जुलाई 2017 को सूरज की मौत हो गई थी। सीबीआइ जांच में सामने आया कि पुलिस के टॉर्चर से उसकी मौत हुई थी। जिसके बाद सीबीआइ ने सभी आरोपितों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया। पहले ये केस शिमला में केस चल रहा था। लेकिन बाद में इसे सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ ट्रांसफर कर दिया था।