मुख्यमंत्री सुक्खू के नेतृत्व में व्यवस्था परिवर्तन के तहत शिक्षा क्षेत्र में सार्थक पहल जारी

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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश व्यवस्था परिवर्तन के ध्येय के साथ निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है। हर क्षेत्र में सार्थक दृष्टिकोण के साथ नवीन पहल की जा रही है। प्रदेश सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन करते हुए सरकारी स्कूलों में सीबीएसई पाठ्यक्रम शुरू करने का एतिहासिक निर्णय लिया है। यह पहल सरकारी संस्थानों में शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करते हुए उन्हें भविष्य की प्रतिस्पर्धाओं और चुनौतियों के लिए तैयार करेगी। सरकारी विद्यालयों में सीबीएसई पाठ्यक्रम का निर्णय मुख्यमंत्री ने गहन चिंतन और विशेषज्ञों से हर पहलू पर गंभीरता से विचार-विमर्श कर विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य को ध्यान में रखते हुए लिया है। इस वित्त वर्ष शिक्षा क्षेत्र के लिए 9 हजार 849 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है, जो प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मुख्यमंत्री ने चुनावी गारंटी के अनुरूप सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा से अंग्रेजी माध्यम की शुरुआत की है, जिसके फलस्वरूप आज इन कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चे हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी भाषा में भी आत्मविश्वास और कुशलता से अपने विचारों और भावनाओं को प्रकट करने में काबिल बन रहे हैं।

प्रदेश सरकार द्वारा 500 प्राथमिक स्कूल, 100 उच्च विद्यालय, 200 वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, 48 महाविद्यालयों और 2 संस्कृत महाविद्यालयों सहित कुल 850 शैक्षणिक संस्थानों को उत्कृष्ट संस्थान घोषित किया गया है। इन स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक, बेहतर भवन, प्रयोगशालाएं और अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। प्रदेश के बच्चों के उच्च शिक्षा के सपने को साकार करने के लिए डा. वाइएस परमार विद्यार्थी ऋण योजना आरंभ की गई है। इसके तहत विद्यार्थी देश व विदेश में पढ़ाई के लिए एक प्रतिशत ब्याज दर पर 20 लाख रुपये तक का शिक्षा ऋण प्राप्त कर सकते हैं।

सरकार द्वारा शिक्षा विभाग में शिक्षकों के 5 हजार 400 से अधिक पद और शिक्षा विभाग में विभिन्न श्रेणियों के 7 हज़ार से अधिक पद भरे गए हैं। पुरानी व्यवस्था को बदलते हुए, अध्यापकों को शैक्षणिक सत्र के बीच सेवानिवृत्त नहीं करने का भी निर्णय लिया है। शिक्षा के साथ-साथ बच्चों की पोषण आवश्यकताओं का भी ध्यान रखा जा रहा है। मुख्यमंत्री बाल पोषाहार योजना के तहत लगभग 15,000 स्कूलों में 5.35 लाख बच्चों को पौष्टिक भोजन दिया जा रहा है।

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