इस दीपावली पर जब प्रदेश भर में मां लक्ष्मी की आराधना में लाखों दिए जलाये जाएंगे, तो इनमें कई ऐसे दिए भी होंगे, जो प्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत प्रदान किये जा रहे उत्सव भत्ते के कारण रोशन होंगे। जब प्रदेश के लाखों घरों में खुशियों की फुलझड़ियां जल रही होंगी तो कई चेहरे इसलिए खिल रहे होंगे क्यूंकि वो अब निराश्रित नहीं बल्कि ‘चिल्ड्रन आफ द स्टेट’ हैं यानी कि प्रदेश सरकार उनकी माता और पिता है।
इस बार बाल देखभाल संस्थानों में रह रहे बच्चों के आँगन में भी दिए जगमगाएंगे, पटाखे फूटेंगे और मिठाइयां बंटेगी। वह भी दीपावली उत्सव धूम-धाम से मनाएंगे। यह सब संभव हो पाया है मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के संवेदनशील नेतृत्व वाली सरकार द्वारा चलाई जा रही महत्त्वाकांक्षी मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना के कारण।
सरकार द्वारा सभी ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ को त्यौहारों पर उत्सव भत्ते के रूप में 500 रूपए प्रति बच्चा प्रदान किये जाते हैं। इसके अलावा उन बाल देखभाल संस्थानों को, जिनमें बच्चों के रहने कि क्षमता 25 या इससे कम हो, उन्हें 5 हजार तथा 25 से अधिक की क्षमता वाले बाल देखभाल संस्थानों को 10 हजार रूपये प्रदान किये जाते हैं।
इससे पूर्व राज्य सरकार ने दशहरा उत्सव पर भी उत्सव भत्ते के रूप में इन बच्चों को 5,27,000 रुपये व बाल देखभाल संस्थानों को 3,27,500 रुपये जारी किये थे। इन त्यौहारों पर सरकार द्वारा कुल 17,09,000 रुपये जारी किए गए हैं।
सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सरकार के गठन के तुरंत बाद अपने पहले निर्णय में समाज के संवेदनशील आश्रित वर्ग का सहारा बनने का संकल्प लेते हुए मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना की शुरुआत की थी। मानवीय संवेदनाओं को अधिमान देते हुए सरकार ने अनाथ बच्चों और अन्य निराश्रितों के उत्थान के लिए कई कदम उठाये हैं।