बगावत करने वाले छह विधायकों ने क्यों उठाया कदम

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शामिल सुधीर शर्मा अंदरखाते मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज थे। उन्हें मंत्री पद देने का आश्वासन मिला था। इसके अतिरिक्त अपनी सरकार में उचित और उपयुक्त मान-सम्मान नहीं था। इसी वजह से इंटरनेट मीडिया पर उनके संदेश सरकार को चेतावनी देने वाले रहते थे।

 

राजेंद्र राणा

राजेंद्र राणा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता होने के साथ-साथ राजनीति उपेक्षा से क्षुब्ध थे। इंटरनेट हेंडल पर लगातार उनके संदेश सरकार को आगाह करने वाले रहते थे। राणा भी सरकार में उपेक्षित महसूस कर रहे थे। कार्यकर्ताओं के कार्य नहीं हो रहे थे, सरकार में शक्तियों का केंद्रीयकरण पार्टी के हित में नहीं मानते थे।

इंद्रदत्त लखनपाल

पिछली वीरभद्र सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रह चुके इंद्रदत्त लखनपाल को वर्तमान सरकार में नियुक्तियों के मामले में विश्वास में नहीं लिया गया। लखनपाल से पूछना तक उचित नहीं समझा गया। इसके अतिरिक्त बड़सर विधानसभा के विकासात्मक कार्याें को लेकर कोई प्राथमिकता नहीं मिली।

चैतन्य शर्मा

मौजूदा विधानसभा के बजट सत्र के दौरान चैतन्य शर्मा ने हर रोज प्रदेश को आगे ले जाने के लिए लगातार प्रश्न किए। चैतन्य शर्मा भी सरकार की उपेक्षा के कारण नाराज चल रहे थे। फलस्वरूप उन्होंने विरोध का बिगुल बजाए रखा, जोकि विधानसभा में उनके भाषणों में साफ दिखता था।

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