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जीएसटी में छह फीसद छूट को मंत्रिमंडल की मुहर

सीएस की अध्यक्षता वाली कमेटी ने लिया था फैसला, 1 अगस्त को जारी हुई अधिसूचना 400 रूपये की सबसिडी के लिए 4 हजार रूपये,संयुक्त किसान मंच का दावा

संगठन ने छूट की शर्ताें को सरल करने की उठाई मांगकार्टन, ट्रे निर्माता कंपनियों से ई वे बिल लें सरकार, न उलझाएं लाखों बागवान

अब बागवान खुले बाजार से भी सेब की पैकेजिंग सामग्री कार्टन और ट्रे खरीद कर छह फीसद जीएसटी की छूट पा सकेंगे।पहले यह सुविधा हिमफैड, एचपीएमसी से की जाने वाली खरीद पर लागू मान जा रही थी। इसके लिए बागवानों छह फीसद की सबसिडी मिलेगी। यह बागवानी विभाग और एचपीएमसी के माध्यम से मिलेगी। मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी ने इस पर पहले ही फैसला ले लिया था। इसकी पहली अगस्त को बागवानी विभाग ने अधिसूचना जारी की थी। अब बुधवार को मंत्रिमंडल ने बैठक में इस पर मंजूरी की मुहर लगाई। इससे पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बागवानी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी। मंत्रिमंडल ने राज्य के बागवानों को राहत प्रदान करने के लिए इस वर्ष 1 अप्रैल से एचपीएमसी या खुले बाजार से खरीदी गई पैकेजिंग सामग्री कार्टन और ट्रे पर छः फीसद सब्सिडी की प्रतिपूर्ति के लिए कार्योत्तर यानी एक्स पोस्ट फैक्टो स्वीकृति प्रदान की। इसके लिए कार्टन व ट्रे का जीएसटी भुगतान बिल, बिक्री प्रमाण और आधार के साथ जुड़े बैंक एकाउंट का विवरण प्रदान करना होगा।

ऐसे करना होगा आवेदन1 अप्रैल के बाद सेब की पेटियां एवं ट्रे खरीदी है, उन्हें वस्तु एवं सेवा कर पर 6 फीसद सबसिडी मिलेगी। प्रदेश के बागवान बागवानी विभाग के कार्यालय में जाकर एक फॉर्म पर अपना आवेदन देंगे। इसके साथ जीएसटी बिल की कॉपी, सेल प्रूफ परिवहन, वस्तु रसीद, बाजार शुल्क की प्रति उपलब्ध करवाएं ताकि उनके आधार युक्त बैंक खातों में सबसिडी आ सकेगी। एचपीएमसी द्वारा बेचे गए काटन व ट्रे पर भी यह सबसिडी मिलेगी। सबसिडी का सारा खर्चा सरकार वहन करेगी।

कमेटी ने ये भी लिए थे फैसलेहाइ पावर कमेटी ने कीटनाशक दवाओं, फफूंदनाशक दवाओं पर बंद की गई सबसिडी को भी बहाल कर दिया था। यह योजना वर्ष 2019 में बंद कर दी थी। तब सरकार इन पर सालाना छह करोड़ खर्च करती थी। दोनों ही तरह की दवाएं अब बागवानी विभाग उपलब्ध करवाएगा। इसके लिए बागवानी केंद्रों में यह सुविधा मिलेगी। अभी इन दवाओं की खरीद खुले बाजार से करनी पड़ रही है। आरोप है कि वहां कंपनियों की मनमानी चलती थी।

उधर, संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान, सह संयोजक संजय चौहान ने कहा कि छह फीसद छूट के लिए पौने चार लाख बागवानों को धक्के काफी खाने पड़ेंगे और उनके हिस्से कुछ नहीं आएगा। उन्होंने कहा कि जिस बागवान की एक सौ पेटी हो रही है, उसे 400 रूपये की जीएसटी छूट लेने के लिए औपचारिकताएं पूरी करने पर करीब चार हजार रूपये खर्च करने होंगे। इसके लिए बागवानी विस्तार अधिकारी के पास शपथपत्र देना होगा, बिल, अन्य दस्तावेज पूरे के लिए भटकना होगा। इसलिए छूट से जुड़ी शर्तों का सरलीकरण किया जाए। सबसे बेहतर तरीका है कि कार्टन, ट्रे निर्माता कंपनियाें से ही ई- वे बिल की औपचारिकता पूरी करने के निर्देश दें।

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