ऊना में स्थापित होने जा रहे बल्क ड्रग पार्क के लिए केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से पर्यावरणीय मंजूरी मिल गई है। इस स्वीकृति से फार्मास्युटिकल क्षेत्र में भारत की सबसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में एक इस पार्क की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ है जिसका उद्देश्य अन्य देशों से सक्रिय फार्मास्युटिकल घटक व प्रमुख कच्चे माल की निर्भरता को कम करना है। उद्योग विभाग के एक प्रवक्ता ने प्रेस को जारी बयान में बताया कि केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने मार्च 2020 में बल्क ड्रग पार्कों को बढ़ावा देने के लिए योजना शुरू की थी। जुलाई, 2020 में केंद्रीय फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा अधिसूचित दिशानिर्देश जारी किए गए थे। राज्य के उद्योग विभाग ने विस्तृत परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसका मूल्यांकन परियोजना प्रबंधन एजेंसी (पीएमए) द्वारा किया गया। अक्टूबर 2022 में योजना संचालन समिति (एसएससी) द्वारा इसे अंतिम अनुमोदन प्रदान किया गया।
केंद्र 996.45 करोड़ और राज्य सरकार 1,074.55 करोड़ का अनुदान प्राप्त
इस परियोजना के लिए भारत सरकार से 996.45 करोड़ रुपये और राज्य सरकार से 1,074.55 करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ है। परियोजना में 8,000 से 10,000 करोड़ रुपये की निवेश क्षमता है और इससे 15,000 से 20,000 लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर सृजित होने की उम्मीद है। यह परियोजना हिमाचल प्रदेश बल्क ड्रग पार्क इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड नामक एसपीवी द्वारा कार्यान्वित की जा रही है, जो राज्य उद्योग विभाग के तत्वावधान में काम कर रही है। जनवरी 2025 में ईएसी की बैठक में इस परियोजना पर विचार किया गया था, जिसमें साइट निरीक्षण के लिए ईएसी की एक उप-समिति का गठन किया गया था। ईएसी के परामर्श के अनुसार, जल निकासी पैटर्न, विकास योजना, पारिस्थितिकी में न्यूनतम गड़बड़ी, भूकंपीय भेद्यता, जोखिम मूल्यांकन, उप-सतही विरूपण और भूस्खलन आदि से संबंधित तकनीकी रिपोर्ट एनआईटी हमीरपुर से तैयार की गई।



