मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना में 307 मामलों का समाधान हुआ

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राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) द्वारा सर्वोच्च न्यायालय की मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति के सहयोग से देशभर में चलाया गया 90 दिवसीय “मेडिएशन फार द नेशन अभियान में हिमाचल में खासा उत्साह देखा गया। इस अभियान के तहत प्रदेश के विभिन्न न्यायालयों में लंबित 2936 उपयुक्त मामलों को मध्यस्थता के लिए चिन्हित किया गया। जिनमें से 307 मामलों का समाधान सौहार्दपूर्ण ढंग से किया गया। यह अभियान 1 जुलाई से 30 सितंबर तक राज्यभर में चलाया गया। जिसका उद्देश्य निचली अदालतों से लेकर उच्च न्यायालयों तक लंबित मामलों के निपटारे को तेजी से सुनिश्चित करना और मध्यस्थता के माध्यम से विवाद समाधान को बढ़ावा देना था।

इनके दिशा-निर्देश में चला अभियान

यह अभियान प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर जाे राज्य विधिक सेवा प्राधीकरण के कार्यकारी अध्यक्ष है कि देखरेख मे हुआ। अभियान की निगरानी में न्यायमूर्ति संदीप शर्मा, रंजन शर्मा और बिपिन चंद्र नेगी की अहम भूमिका रही।

आपराधिक समझौता योग्य मामलों को प्राथमिकता

इस अभियान के तहत वैवाहिक विवाद, मोटर वाहन दुर्घटना दावे, घरेलू हिंसा, चेक बाउंस, उपभोक्ता मामले, ऋण वसूली, सेवा विवाद, भूमि अधिग्रहण और अन्य दीवानी तथा आपराधिक समझौता योग्य मामलों को प्राथमिकता दी गई।

माध्यम से मामलों का समाधान न्यायिक प्रणाली पर भार करने का जरिया

हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण सदस्य सचिव रंजीत सिंह ने कहा कि मध्यस्थता के माध्यम से मामलों का समाधान न केवल न्यायिक प्रणाली पर भार को कम करता है। बल्कि आपसी रिश्तों को संरक्षित रखने और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने में भी सहायक सिद्ध होता है। उन्हाेंने कहा कि हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण आगामी समय में भी मध्यस्थता को एक सुलभ, विश्वसनीय और लागत-प्रभावी विवाद समाधान प्रणाली के रूप में स्थापित करने हेतु निरंतर प्रयास करते रहेंगे। साथ ही, समाज में कानूनी जागरूकता को व्यापक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

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