कांग्रेस के लिए हमारा संविधान केवल सत्ता को साधने का एक उपकरण मात्र रहा : सिद्धार्थन
भाजपा जिला शिमला द्वारा 75वे संविधान दिवस पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया इस कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कानून एवं विधि विभाग के प्रोफेसर डॉ. संजय संधू मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता रहे।
उनके साथ प्रदेश संगठन महामंत्री सिद्धार्थन, प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव कटवाल, प्रदेश महामंत्री बिहारी लाल शर्मा, प्रदेश सचिव डॉ. संजय ठाकुर, प्रदेश कार्यालय सचिव प्रमोद ठाकुर सहित मोर्चों एवं मंडलों के अध्यक्ष तथा अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी व कार्यकर्ता विशेष रूप से उपस्थित रहे।
संधू ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा भारतीय संविधान भारत के लोकतंत्र का मूल आधार है। आज भारत का आधुनिक लोकतंत्र 75 वर्ष की गौरवशाली यात्रा पूर्ण कर प्रगति पथ पर अग्रसर है। इस 75 वर्षीय यात्रा के केंद्र में हमारा संविधान प्रतिष्ठित रहा है। ध्यातव्य है कि हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान की रचना में भारतीय जीवन मूल्यों की मान्यताओं, आधुनिक शासन और भविष्य की आशाओं तथा आकांक्षाओं की पूर्ति को केंद्र में रखा था। इन लक्ष्यों की सिद्धि करने वाले दस्तावेज के रूप में हमारा संविधान 26 नवंबर, 1949 को देश की जनता को समर्पित किया गया था। इस दृष्टि से 26 नवंबर भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण तारीख के रूप में दर्ज होना चाहिए था, लेकिन दुर्भाग्यवश लंबे समय तक ऐसा नहीं हो सका।
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स्वतंत्रता के पश्चात दशकों तक केंद्रीय सत्ता में रही कांग्रेस के विचार में 26 नवंबर का ऐतिहासिक महत्व कभी नहीं आया। वास्तव में, कांग्रेस नेतृत्व सत्ता पर प्रभुत्व एवं नियंत्रण स्थापित रखने को ही लोकतंत्र का प्रमुख उद्देश्य मानता था। वे स्वाधीनता दिवस 15 अगस्त और गणतंत्र दिवस 26 जनवरी तो मनाते रहे, पर ‘संविधान दिवस’ जैसे महत्वपूर्ण अवसर, जब देश ने संविधान को अंगीकार किया था, को मात्र न्यायपालिका तक सीमित कर दिया। संविधान केवल न्यायिक या वैधानिक दस्तावेज नहीं है, बल्कि वह भारत की जनता की आशाओं एवं आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। इस अर्थ में यह देश के जन-जन के मन का दस्तावेज है।