लोक सभा चुनाव में शिमला सीट से उम्मीदवार की घोषणा के साथ ही कांग्रेस ने भाजपा को जीत का चौका लगाने से रोकने के मकसद से फील्डिंग सजानी शुरू कर दी है। शिमला संसदीय क्षेत्र से छह मर्तबा के विधायक रहे स्व. केडी सुल्तानपुरी के विधायक पुत्र विनोद सुल्तानपुरी को उम्मीदवार बना कर कांग्रेस ने बड़ा दाव खेला है। उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद अब सुल्तानपुरी के समक्ष अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए लोक सभा चुनाव में जीत दर्ज करने की भी चुनौती होगी।
शिमला संसदीय क्षेत्र कांग्रेस का परंपरागत गढ़ रहा है। 1962 से 2019 तक हुए 16 लोक सभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार 11 मर्तबा जीते। शिमला संसदीय क्षेत्र से सबसे अधिक छह मर्तबा चुनाव जीतने का रिकार्ड विनोद सुल्तानपुरी के पिता स्व. केडी सुल्तानपुरी के नाम है। केडी सुल्तानपुरी 1980 ,1984,1989,1991,1996 तथा 1998 में यहां से सांसद रहे। इससे पहले 1962 व 1967 में महासू के नाम से जानी जाने वाली शिमला सीट से दो मर्तबा वीरभद्र सिंह, 1967 तथा 1971 में प्रताप सिंह तथा 2004 में कांग्रेस उम्मीदवार डॉ धनी राम शांडिल यहां से सांसद निर्वाचित हुए।
गैर कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर जनता पार्टी के बालक राम कश्यप शिमला लोक सभा सीट से पहली मर्तबा सांसद चुने गए थे। इसके बाद 1999 में हिविकां उम्मीदवार के तौर पर डॉ धनी राम शांडिल जीते। 2009 तथा 2014 में भाजपा के वीरेंद्र कश्यप तथा 2019 में भाजपा के सुरेश कश्यप सांसद निर्वाचित हुए।
शिमला सीट के मतदान के आं$कडों पर गौर करें तो 2004 में यहां भाजपा को 38.40 तथा कांग्रेस को 39.94फीसद वोट मिले। मगर 2009 में भाजपा को 50 तथा कांग्रेस को 45 प्रतिशत ही वोट मिले। 2014 में भाजपा के मतदान प्रतिशत में फिर बढ़ोतरी हुई। भाजपा को 52 तथा कांग्रेस को 40 प्रतिशत वोट मिले। 2019 में भाजपा को 66 तथा कांग्रेस को 30.50 प्रतिशत ही वोट मिल सके। आंकड़े इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि शिमला सीट में बेशक कांग्रेस की जड़े अभी मौजूद हैं , मगर भाजपा को मिलने वाले मतों का ग्राफ भी लगातार बढ़ रहा।
कांग्रेस ने शिमला संसदीय क्षेत्र के लिए शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर को प्रभारी नियुक्त किया है। उनके साथ नेताओं की पूरी टीम है। साथ ही भाजपा को जीत का चौका लगाने से रोकने के लिए संसदीय क्षेत्र के कांग्रेस विधायकों, मंत्रियों व संसदीय सचिवों को भी विनोद सुल्तानपुरी को अपने अपने क्षेत्रों में बढ़त दिलाने का जिम्मा सौंपा है।
बहरहाल संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के विनोद सु्लतानपुरी का मुकाबला भाजपा के सुरेश कश्यप से होना है। कश्यप 2019 में सांसद चुने जाने से पहले पच्छाद से विधायक रह चुके हैं। विनोद सुल्तानपुरी दो विधान सभा चुनाव में पराजित होकर 2022 में पहली मर्तबा विधायक चुने गए। अब पार्टी ने उन्हें चुनावी महासमर का योद्धा घोषित कर दिया है।