विधानसभा अध्यक्ष को स्वीकारने चाहिए थे निर्दलीय विधायकों के त्यागपत्र : शुक्ल

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विधानसभा की सदस्यता से त्याग पत्र लेने वाले तीन निर्दलीय विधायकों से जुड़े मामले पर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष को ये त्याग पत्र स्वीकारने चाहिए थे। क्योंकि कर्नाटक और मध्य प्रदेश से जुड़े दो मामलों में सर्वोच्च न्यायालय का स्पष्ट निर्णय आया था कि विधानसभा अध्यक्ष के पास व्यक्तिगत तौर पर जाकर त्याग पत्र सौंपने वाले विधायक का त्याग पत्र स्वीकार किया जाना चाहिए। मैंने भी दोनों राज्यों के संबंध में उत्पन्न स्थिति को उल्लेखित करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों का हवाला विधानसभा अध्यक्ष को भेजा था। राजभवन में पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने तीन निर्दलीय विधायकों के त्याग पत्र से उपजी स्थिति को लेकर कहा कि 22 मार्च को मुझे त्याग पत्र देने से पहले तीनों निर्दलीय विधायकों ने विधानसभा सचिव को सदस्यता से त्याग पत्र देने संबंधी पत्र सौंपा था, इतना ही नहीं, उसके बाद तीनों ने विधानसभा अध्यक्ष को भी स्वयं त्याग पत्र सौंपा। उसके बाद तीनों निर्दलीय विधायक मेरे पास आए थे, मैंने उनका त्याग पत्र लिया और विधानसभा अध्यक्ष को आगामी कार्रवाई करने के लिए भेज दिया था।

निर्दलीय विधायक मेरा हस्तक्षेप चाहते थे

जब निर्दलीय विधायक मुझसे मिले थे तो वे चाहते थे कि मैं इस मामले में हस्तक्षेप करूं और त्याग पत्र तुरंत स्वीकार कर लिया जाए। लेकिन मैं बता देना चाहता हूं कि इस मामले में राजभवन हस्तक्षेप करूं। हां, मैंने नियमों का हवाला देते हुए इतना जरूर किया कि ऐसे ही मामले का कर्नाटक विधानसभा और मध्यप्रदेश विधानसभा से जुड़े मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का उल्लेख करते हुए विधानसभा अध्यक्ष को भेज दिया। उसके बाद निर्णय लेने का काम विधानसभा अध्यक्ष का था, जो चाहें निर्णय ले सकते हैं।

मैंने दोनों पत्र भेजने में पोस्टमैन का काम किया

पहले मुझे भाजपा विधायक दल के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की ओर से एक पत्र सौंपा गया था, जिसमें शंका जाहिर की गई थी कि सरकार नियमों के खिलाफ कार्य करेगी। दूसरा पत्र, निर्दलीय विधायकों की ओर से त्याग पत्र स्वीकार करने संबंधी था। मैंने दोनों पत्र पोस्टमैन की भूमिका की तरह विधानसभा अध्यक्ष को भेज दिए थे। उसके बाद दोनों पत्रों का उत्तर भी प्राप्त हुआ, जिसके लिए मैं विधानसभा अध्यक्ष को साधुवाद देता हूं।

विधायकों को अध्यक्ष के निर्णय में त्रुटि लगती है तो न्यायालय जा सकते हैं

एक प्रश्न के उत्तर में राज्यपाल शुक्ल ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय पर मेरा कोई अधिकार नहीं है। विधानसभा अध्यक्ष जिन नियमों के तहत संचालित करना चाहें कर सकते हैं। यदि निर्दलीय विधायकों को उसमें कोई त्रुटि लगती है तो वे न्यायालय में जा सकते हैं, यदि त्रुटि नहीं रहती है, तो स्वीकार करते हैं। मुझे लगता है कि उस स्थिति में राजभवन का संविधान में कोई रोल परिभाषित नहीं है।

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