108 और 102 सेवा यूनियन के कर्मचारियों को अपनी मांगों को उचित न्यायालय के समक्ष उठाने के लिए स्वतंत्रता दी

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प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से एम्बुलेंस 108 और 102 को चलाने के लिए नया ठेका दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिका का निपटारा कर दिया है। न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने 108 और 102 सेवा यूनियन के कर्मचारियों को अपनी मांगों को उचित न्यायालय के समक्ष उठाने के लिए स्वतंत्रता दी है। याचिका में आरोप लगाया गया था कि जीवीके कंपनी का ठेका समाप्त होने पर राज्य सरकार ने एम्बुलेंस चलाने का जिम्मा नए ठेकेदार को दिया है। नए ठेकेदार ने याचिकाकर्ता यूनियन के कर्मचारियों को सेवा में रखने से मना कर दिया है। नए ठेकेदार की ओर से अदालत को बताया गया कि राज्य सरकार की ओर से उसे सिर्फ 293 एम्बुलेंस ही दी गई है जिसमें जीवीके में कार्यरत 97 फीसदी कर्मचारियों को नौकरी पर रख लिया गया है। यदि सरकार और एम्बुलेंस मुहैया करवाती है तो पुराने ठेकेदार के सभी कर्मचारियों को सेवा में रखा जाएगा। यूनियन के कर्मचारियों ने अदालत से यह भी गुहार लगाई थी कि राज्य के सभी  एम्बुलेंस कर्मचारियों को नियमित किए जाने बारे आदेश पारित किए जाए और इनकी अस्थाई नौकरी को स्थायी करने बारे नीति बनाई जाए।ज्ञात रहे कि एम्बुलेंस 108 और 102 में कार्यरत ड्राइवर और टेक्नीशियन राज्य सरकार से अपनी सेवाओं को स्थायी करने के लिए कई वर्षों से मांग कर रहे है। 

यूनियन की मांगें है कि राज्य के सभी एम्बुलेंस कर्मचारियों को हरियाणा राज्य के 108 एम्बुलेंस कर्मचारियों की तरह अधीनस्थ किया जाये। जिन 108 कर्मचारियों ने सरकारी खर्चे पर प्रशिक्षण लिया है उनको प्राथमिकता के आधार पर लिया जाए। सामान काम का सामान वेतन समस्त कर्मचारियों में लागू हो, एम्बुलेंस कर्मचारियो की अस्थाई नौकरी को स्थायी करना सुनिश्चित किया जाए। कर्मचारियो को ठेकेदारी प्रथा से मुक्त किया जाए। कर्मचारियों के साथ किसी भी प्रकार की घटना होने पर परिवार के एक सदस्य को स्थायी नौकरी मिले और परिवार वालो को मुआवजा भी मिले।

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