24 नवंबर 2021, शिमला – भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (एडवांस्ड स्टडी) में आज भारत की आजादी के संघर्ष में हिमाचल के योगदान को उजागर करते हुए ’धामी गोलिकाण्ड’ घटना के आलोक में ’शिमला, द हिल स्टेटस एण्ड द फायरिंग एट धामी’ विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया। यह व्याख्यान शिमला के प्रसिद्ध लेखक, इतिहासकार एवं पत्रकार राजा भसीन द्वारा प्रस्तुत किया।
मुख्य वक्ता राजा भसीन ने बाताया कि ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता के लिए शिमला एक सुरक्षा कवच की भाँति था। शहर में रहने वाले भारतीयों की बड़ी आबादी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से औपनिवेशिक व्यवस्था पर निर्भर थी मगर फिर कुछ लोग इस व्यवस्था के अन्याय को महसूस कर रहे थे और उसके विरुद्ध संघर्ष भी कर रहे थे। इस अन्याय और शोषण व्यवस्था का प्रभाव स्थानीय पहाड़ी शासकों पर पड़ा, जिन्हें ब्रिटिशराज के उपकरण के रूप में माना जाता था। अन्याय और शोषण से मुक्ति पाने के लिए 1 जून 1939 को एक राष्ट्रवादी निकाय के रूप में हिमालय रियासती प्रजामंडल का गठन हुआ। 16 जुलाई 1939 को हुई धामी गोलीकाण्ड घटना हिमाचल की पहाड़ियों में स्वतंत्रता की ओर हमारे देश की यात्रा को चिह्नित करने वाली काली घटनाओं में से एक बहुत ही घृणित घटना है जो सत्ता और विशेषाधिकार, स्थानीय लोगों की मजबूरियों तथा ग्रामीण किसानों के बीच संघर्ष की पीड़़ादायक दास्तान को बयान करती है। कार्यक्रम का सुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर चमन लाल गुप्त ने इस महत्वपूर्ण विषय पर जानकारी युक्त व्याख्यान प्रस्तुत करने के लिए राजा भसीन का आभार माना। साथ ही उन्होंने ब्रिटिश काल से पूर्व तथा ब्रिटिश कालीन शिमला की सामाजिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए आजादी के अमृत महोत्सव शृंखला में संस्थान की भागीदारी को भी रेखांकित किया। संस्थान के सचिव प्रेम चंद ने मुख्य वक्ता तथा उपस्थित सभासदों का धन्यवाद किया । संस्थान के सभी अध्येता, आईयूसी सह-अध्येता, आवासी विद्वान, अधिकारी और कर्मचारी इस व्याख्यान कार्यक्रम में उपस्थित थे। ऑफलाइन के साथ-साथ इस कार्यक्रम को सिस्को वेबएक्स तथा संस्थान के फेसबुक पेज पर भी प्रसारित किया गया।